‌‌‌बक्सर के डाक्टर ने दिखाया चीन में चमत्कार

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-जाने उन्होंने इससे बचने के लिए क्या कहा
-भारत सरकार के कार्यो को सराहा
बक्सर खबर। कोरोना वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है। लेकिन, जहां से इसकी हवा चली। वहां के लोगों ने इस पर विजय पा ली है। ऐसा करने वाले हैं चीन के डाक्टर और वहां की सरकार। वहां इस समस्या से जंग लड़ने वाले प्रमुख डाक्टर संजीव चौबे की चर्चा इन दिनों भारतीय मीडिया में खुब हो रही है। क्योंकि उनकी टीम ने बहुत बेहतर काम किया है। हमारे लिए अच्छी खबर यह है कि वह डाक्टर चौबे बिहार के ही रहने वाले हैं। मूल रुप से वे बक्सर के डुमरी गांव के निवासी हैं। पुणे से डाक्टर बन चीन के संघाई पहुंचे डाक्टर राजीव चौबे फिलहाल संघाई में सेंट माइकल हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर हैं। वहां की स्थिति पर नियंत्रण पाकर चमत्कार जैसा कार्य करने वाले डाक्टर से हमने बात की।

इस रोग के बारे में जानने का प्रयास किया गया। तो कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलीं। जिसके बारे में आज जानना सबके लिए जरुरी है। उनके अनुसार यह रोग धीरे-धीरे अपना प्रभाव दिखाता है। इसका सबसे घातक पहलु यह है कि पहले दस दिनों तक इसके प्रभाव का पता ही नहीं चलता। नहीं तो यह मामूली दवा से समाप्त किया जा सकता है। यह पहला चरण है। जब हम इसके प्रभाव में आते हैं। तो ग्यारह से बारह दिन बाद तेज बुखार होता है। यह दूसरा चरण है। इसके उपरांत तीसरे चरण में निमोनिया के लक्षण दिखने लगते हैं। यह तीसरा चरण है। यहां पर जिसके अंदर प्रतिरोधक क्षमता होती है। वह ठीक होना शुरू हो जाता है।

लेकिन, पूर्व से जिन्हें मधुमेह, थायराइड व हृदय संबंधि बीमारी होती है। वैसे लोगों को कमजोर करने लगता है। इसका पाचवां चरण सबसे खराब है। लेकिन, इसपर नियंत्रण पाने के लिए जरुरी है। सभी मिलकर सहयोग करें। उन्होंने कहा मेरे तीन सुझाव हैं। व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से परहेज करें। क्योंकि यह कई तरह की समस्याएं पैदा कर रहा है। दूसरा सुझवा अफवाहों ने हमेशा देश और समाज को नुकसान पहुंचाया है। इस लिए इससे बचे। इसके लिए जरुरी है अनाधिकृत संदेशों पर ध्यान हीं न दें। उन्होंने कहा सरकार को आवश्यक कदम उठाना होगा। अब तक भारत सरकार ने जो कदम उठाया है। वह प्रशंसनीय है।
इस समस्या से निपटने में कितना समय लग सकता है ?
बक्सर खबर। यह समस्या इतनी विकराल हो गई है। विश्व के अनेक देश की चपेट में आ गए है। इससे निपटने में कितना समय लगेगा और लोगों को क्या करना चाहिए? जब यह सवाल हमने डाक्टर चौबे से पूछे तो उन्होंने कहा। इससे निपटने में तीन से चार माह का समय लगेगा। जो इस बीमारी से प्रभावित हैं। उन्हें तीस से चालीस तक ठीक होने में लग सकते हैं। लेकिन, यह ध्यान में रखना होगा। ऐसे मरीज जो आइसोलेशन से भाग रहे हैं। वह समाज के लिए बहुत खतरनाक हैं।
डा चौबे का एक परिचय
बक्सर : संजीव चौबे का जन्म सिमरी प्रखंड के डुमरी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम अभिजीत चौबे है। जो एनटीपीसी में पदाधिकारी थे। उनके साथ रहकर प्राथमिक शिक्षा संजीव ने कहलगांव से पूरी की। पूणे से मेडिकल किया और फिर फिलिपिंस चले गए। उनके दादा जी का नाम स्व धर्मदेव चौबे है। उनके पिता अभिजीत चौबे ने बताया कि वहां से आने के बाद दिल्ली के शांति अस्पताल में कुछ दिनों तक काम किया। अब वह चीन में है। उसने बातचीत में कहा कि, डाक्टर अपने फर्ज से पीछे नहीं हटते। मैं जहां हूं, वहां के लोगों की सेवा करना मेरा सबसे बड़ा धर्म है।

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