न्याय के साथी होते हैं पत्रकार : गिरीश द्विवेदी 

0
273

बक्सर खबर : पत्रकार चाहे मुफस्सिल पत्रकारिता करने वाला हो या किसी बड़े बैनर का संपादक। वह हमेशा न्याय के साथ खड़ा होता है। मानव मूल्यों का सच्चा प्रहरी होने का गौरव प्राप्त है। ऐसा नहीं यह हमारे या आपके प्रयास से ख्याति मिली है। यह तो हमारे पूर्वजों की समर्पित पत्रकारिता की देन है। जिन्होंने उच्च आदर्श बनाए रखने के लिए वह हर कष्ट उठाए हैं। हम उस राह के छोटे पथिक हैं। उनके पदचिह्नों पर चलने का हमारा प्रयास मात्र ही सच्ची पत्रकारिता होगी। मेरा यही मानना है अगर हमें इस पवित्र पेशे से जुडऩे का मौका मिला है तो हम अपने कर्तव्य को निभाए। यह बातें प्रभात खबर के मौजूदा पत्रकार गिरीश द्विवेदी ने कहीं। अपने साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए। के लिए पिछले सप्ताह ही बात की थी। लेकिन आर्थिक तंगी के शिकार पत्रकार अपनी मजबूरी में इतने व्यस्त थे। उनसे पूरी चर्चा भी नहीं हो सकी। हमने उनके पत्रकारिता जीवन के बारे में जानने का प्रयास किया। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश।

पत्रकारिता जीवन
बक्सर खबर : गिरीश कुमार बताते हैं। मैंने वर्ष 2003 में दैनिक जागरण के लिए लिखना शुरु किया। केसठ प्रखंड क्षेत्र का होने के कारण उसी प्रखंड के संवाददाता बनाए गए। राजकमल राय जागरण के प्रभारी थे। मैं अखबार के कूपन योजना का पुरस्कार लेने कार्यालय गया था। वहां एजेंट अजय सिंह मिले। परिचय जानने के बाद उन्होंने अविनाश भैया से मुझे मिलवाया। उन्होंने मुझसे बात की और काम करने की सलाह दी। वहीं से सफर शुरु हुआ। लेकिन पारिवारिक मजबूरी में 2007 में जागरण का साथ छूट गया। जीवन की गाड़ी को चलाने के लिए मैं निजी विद्यालय से जुड़ गया। पुन: 2011 में प्रभात खबर में केसठ से ही लिखने का मौका मिला। यह सफर अभी जारी है।

हेरिटेज विज्ञापन

व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : गिरीश द्विवेदी का जन्म 1 मार्च 1978 को हुआ। पिता सुरेश द्विवेदी अब नहीं हैं। उनकी इकलौती संतान गिरीश के उपर युवा अवस्था से ही परिवार का बोझ कंधे पर रहा। अपने गांव दसियांव प्रखंड केसठ से ही प्राथमिकी शिक्षा पूरी की। 1992 में मैट्रिक तथा आरा जैन कालेज से 1998 में स्नातक किया। वर्ष 2002 में शादी हो गई। आज दो बच्चियों के पिता हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here