बेटवे सब लड़ेगा चुनाव का हो…

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बक्सर खबर। माउथ मीडिया
बतकुच्चन गुरू से आज सुबह ही सुबह मुलाकात हो गई। कुछ जरुरी सामान के लिए बाहर निकला तो सामना हो गया। बातचीत शुरू हुई तो फिर क्या था। दूर तलक गई, उन्होंने नेता अधिकारी, पत्रकार किसी को नहीं छोड़ा। पहले तो मेरा हाल पूछा… कैसे हो गुरू, आजकल खबरिया तोहार कम आ रही है। हमने बताया पिता जी को लेकर परेशानी बढ़ी है। गांव से शहर आते-आते देर हो जाती है। वे बोले बहुत अच्छा, जरुरी हौ बेटा होवे का फर्ज अदा करे चाही। इतना कहते ही जैसे बेटा शब्द उनके गले अटक गया। मेरी तरफ मुखातिब हुए और बोले तोके का लगता है। इ बार बक्सर में लोकसभा चुनाव सब बेटवे लड़ेगा का हो? मैंने कुछ जवाब नहीं दिया न ही उन्होंने मेरे जवाब का इंतजार किया, बस शुरू थे।

जाने हो गुरू … अब देखा उ जौन मंत्री थे तिवारी जी। उनकर बेटा तैयार है चुनाव लड़ेला। हम तो इहो सुने हैं कि उ जौन चौबे रहे। पहले वाले उनका बेटा सब भी टिकट मांग रहा है। यहां से चुनाव लड़े बदे। काहे कि इस वाले चौबे के टिकट कटे का हल्ला बहुते है। कुछ मिला तो इ कह रहे हैं टिकट कटा तो एमन भी बेटवे सब का हाथ हौ। इ बार सरकारी पार्टी में सबसे ज्यादा उम्मीदवार हैं। कांग्रेस गठबंधन ले के खतरे मा फंसी है। जिला के दो विधयका भी ताल ठोक रहे हैं। उनका कहना है हम ए माटी के बेटा हैं। इतना सुन मैंने कहा जी…। मेरा इतना कहना था कि वे रुक गए। मैं तो डर गया कहीं हमी पर न बरस पड़े। लेकिन अब उनका संदर्भ बदल गया।
चले थे कालर टाइट करने फट गई कमीज
बक्सर खबर। बतकुच्चन गुरु आज पूरी रौ में थे। मेरे टोकते ही उनका विषय बदल गया। बोले जाने हो लोकसभा में तो अभी टाइम है। यहां आजकल अलगे हंगामा मचा है। अनाज के बोरा गिर जाए से दू गो बच्चा ओमन दब गया। खबर मिला तो सब लोग बचावे दौड़े। ओकर माई-बाप पगला गया। सबके खदेड़ दिया उहां से। कहा हमार बोरा है, हम हटावेंगे। और कवनो मनई के यहां जरुरत ना है। ओ पागलन के चक्कर में दो बचवन सब पता नहीं कहां गया। उहां जौन हुआ सो हुआ, बुरबक बने उ जौन हाले में उहां आए थे। समझे थे कि कुर्सी मिला है। चलके झोरेंगे, अगर झोरे के नहीं मिला तो रौब झारे से कौन रोकेगा। यहां आए तो ससुर उल्टे फंस गए। का पहले बैठ के हिसाब किताब देख रहे थे। अब तो जवाबे देत-देत परेशान हैं। मुझसे रहा नहीं गया फिर गलती से टोक दिया। कौन परेशान है और काहें? बतचुच्चन गुरु रुके नहीं। बोलते गए… गुरू बहरे घूमा करो। तोहरे बइठे-बइठे मोटापा घेर रहा है। अब कल्ले की बात है। हो गई रही भिडंत…
नेता कुर्सी के लिए पत्रकार सब खाएला भीड़ गए
बक्सर खबर। बतकुच्चन गुरु बोले तोहे पता ना हौ। कल यहां एक वीआइपी कार्यक्रम रहा। ओकर में एगो नेता अपना से बड़ नेता के कुर्सी छिन लिया रहा। हंगामा हो गवा लेकिन, दूसरा नेता समझदार निकला। पहले तो पलट के जवाब दिया। लेकिन, मीडिया और बडकन नेतवन के देख के चूप हो गवा। इ सब खतम हुआ तो वहां पहुंचे सब पत्रकार भोजन के लिए भीड़ गए। कार्यक्रम के बाद पीसी होने वाला रहा। लेकिन, उसे पहले ही एगो पत्रकार रसगुल्ला गटके लगा। इ देख के कुछ लोग टोका। भाई यहां एतना लोग बइठा है कोई तोहरे जइसन यहां छछलोल न हैं। बात शुरू हुई तो कई मिला होटल वालन पर गुस्सा निकालने लगे।
इतना कह लेने के बाद बतकुच्चन गुरु बोले अच्छा हम चलें। मैंने कहा जरुर, पूछा नहीं कहां जा रहे हैं। लेकिन वे स्वयं बोले बनारस जा रहे हैं। कल लउट के आएंगे। कवनो काम हौ तो बताव। मैंने इशारे से ना कहा और उनसे विदा हो घर लौट आया।

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