क्या है बक्सर में हुए 789 दाह संस्कार का सच … !

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-तेरह मई तक संक्रमण से हुई जिले में लगभग 95 मौत
बक्सर खबर। कोविड महामारी के दौरान बक्सर में कितने मौतें 13 मई तक हुई थी। इसकी रिपोर्ट उच्च न्यायालय ने तलब की। साथ ही बक्सर में हुए दाह संस्कार की रिपोर्ट भी न्यायालय के समक्ष रखी गई। इसके बाद जो हंगामा खड़ा हुआ है। उसने सबका ध्यान इस तरफ खींच लिया है। पूरा सच क्या है, यह जानने की जिज्ञासा हुई। लेकिन, भ्रामक खबरों ने लोगों को उहापोह में डाल दिया। क्योंकि मीडिया में जो खबरें परोसी जा रही हैं। वह आग में घी का काम कर रही हैं। महामारी के दौर में नेता उसे राजनीति के हथियार के रुप में इस्तेमाल कर रहे हैं। एक दूसरे पर कीचड़ उछालने में लगे हैं। शव की तरह सच भी दफन हो रहा है। इसकी एक और वजह भी है। सगूफा मिलते ही पत्रकार खबर को बेचने में जुट जाते हैं। खबर को परखते नहीं, उन्हें तो बस बयान चाहिए। भले ही वह सच हो या नहीं।

संक्रमण से हुई कितनी मौतें
बक्सर खबर। उच्च न्यायालय में जो रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। उसमें 6 मौत की बात सामने आई। लेकिन, जिले में जो दैनिक रिपोर्ट मीडिया को मिलती रही है। उसमें 95 का उल्लेख था। जाहिर सी बात है, वहां जो रिपोर्ट प्रस्तुत हुई। उसमें किसी न किसी स्तर पर चूक संभावी है। लेकिन, मामला हाई लेबल का है। इस लिए निचले स्तर पर कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं। मजे की बात देखिए, जो न्यायालय छोटी-छोटी बात के लिए पुलिस की डायरी और जांच रिपोर्ट मांगती है। उसे भी वह रिपोर्ट पच नहीं रही। क्योंकि दाह संस्कार के आंकड़े चौकाने वाले हैं।

कितनी लोगों का हुआ दाह संस्कार
बक्सर खबर। पांच मई से चौदह मई के बीच बक्सर में 789 लोगों का दाहसंस्कार हुआ। अर्थात कुल नौ दिन में औसतन 80 से ज्यादा शव जलाए गए। जाहिर से बात है, अगर इतने लोगों का अंतिम संस्कार इस छोटी काशी में हुआ तो बात चौंकाने वाली है। लेकिन, एक सवाल और उठता है। अगर दाह संस्कार इतने दिखाने का साहस प्रशासन ने किया तो वह मौत के आंकड़े छिपाने जैसी गलती क्यूं करेगा। साथ ही एक सवाल और जेहन में आता है, इतने शव आए कहां से। यह बक्सर के तो नहीं हो सकते। इस जिले की आबादी 17 से 18 लाख है। यहां नगर परिषद कोई प्रमाणपत्र जारी करती नहीं।

श्मशान घाट पर ले देकर एक पर्ची कटती है। जो ठेका लेने वाला कर्मी काटता है। उसी का बही खाता है, जो बतौर प्रमाण या तस्दीक के काम आ सकता है। उसका अवलोकन करने पर पता चलता है, 324 बक्सर जिले के शव थे। बाद बाकि 465 गैर जिले के। वैसे बक्सर में अधिकांश लोगों का अंतिम संस्कार यहीं होता है। क्योंकि यहां गंगा उत्तरायणी हैं और चरित्रवन पुण्य धाम के रुप में विख्यात है। इसी वजह से पड़ोसी जिलों जैसे आरा का कुछ हिस्सा, सासाराम और कैमुर का कुछ हिस्से से लोग यहीं आते हैं। अब इनमें से कौन संक्रमित थे और कौन नहीं। यह तो परिवार वाले बता सकते हैं या स्वास्थ्य विभाग।

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