गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बनेगा दर्जी मोहल्ला का ताजिया

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70 सालों से निकल रही ताजिया, इस बार मक्का-मदीना की झांकी बनेगी आकर्षण का केंद्र                        बक्सर खबर। मोहर्रम को लेकर शहर में तैयारियां पूरे जोश के साथ चल रही हैं। खासकर दर्जी मोहल्ला के लोगों में उत्साह देखते ही बन रहा है। इस बार 6 जुलाई को निकलने वाली ताजिया की तैयारी मोहल्ले के बुजुर्गों, युवाओं और बच्चों ने मिलकर शुरू कर दी है। दर्जी मोहल्ला और अमला टोली का संयुक्त अखाड़ा एडीएम हर साल की तरह इस बार भी भव्य और दिव्य ताजिया बनाने में जुटा है। इस बार 14 फीट लंबा और 6×6 फीट चौड़ा ताजिया बनाया जा रहा है, जो पूरी तरह से लोकल मार्केट के सामान से तैयार किया जा रहा है।

कमेटी के सदस्य जैनुल आलम ने बताया कि इस बार की ताजिया में मक्का और मदीना शरीफ की झांकी के साथ इमाम हसन-हुसैन के मकबरे की झलक भी दिखेगी। फोम और लकड़ी से तैयार ताजिया को मोहल्ले के युवक मिलकर दिन-रात मेहनत से बना रहे हैं। ताजिया के साथ अखाड़ा में इस्तेमाल होने वाली लाइट, झालर, नगाड़ा और बाजा भी पूरी तरह से स्थानीय बाजार से इस्तेमाल किया जाएगा। मोहल्ला कमेटी के वरिष्ठ सदस्य विजय चौरसिया, जो नगर परिषद में कार्यरत हैं और मशहूर शिक्षक स्व. वीर बाबू के पुत्र हैं, बताते हैं कि, “करीब 40 वर्षों तक मैंने खुद ताजिया बनायी।ताजिया बनाते अखाड़ा दर्जी मोहल्ला के सदस्य

अब उम्र का असर है, इसलिए बच्चों को सिखाने और दिशा देने का काम करता हूं। गंगा-जमुनी तहजीब हमें विरासत में मेरे पिताजी से मिली है।” उन्होंने बताया कि दर्जी मोहल्ला में करीब 70 वर्षों से ताजिया निकल रही है। पहले खलीफा मशहूर अधिवक्ता मरहूम शौकत अली के पिता अली इमाम हुआ करते थे। तब से लेकर आज तक यह मोहल्ला भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बना हुआ है। इस बार अखाड़ा मोहम्मद सुल्तान अली की खलीफागीरी में निकलेगा। साथ में नायब खलीफा के रूप में मोहम्मद शहाबुद्दीन और असगर राईन भी तैयारी में सक्रिय हैं। कमेटी की ओर से जिलेवासियों से अपील की गई है कि मोहर्रम को शांति, एकता और भाईचारे के साथ मनाएं और बक्सर की सदियों पुरानी तहजीब को जिंदा रखें।

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