महिलाओं को मिला रोजगार, बाजार में आया शुद्ध जांता सत्तू

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बक्सर खबर। कृषि ऐसा क्षेत्र है। जहां देश की सबसे बड़ी आबादी रोजगार पाती है। भले ही कोई अपने को मजदूर कहे या किसान। लेकिन, इस क्षेत्र से जुड़े लोग खुद को बेरोजगार बता रोना रोते हैं। इन सबको आइना दिखाया है बागरी परियोजना ने। जिससे जुड़कर कुछ युवाओं ने डुमरांव फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की स्थापना की है। इस कंपनी ने कृषि को उद्योग परक बनाने के लिए कई कार्य शुरु किए हैं। जिसके तहत स्ट्राबेरी की खेती शुरू की गई है। इतना ही नहीं खेतीबारी का सीजन नहीं होने पर सत्तू बनाने का कार्य प्रारंभ किया है।

जिसके लिए पारंपरिक तरीका अपनाया गया है। जांता से सत्तू बनाने का। न बिजली की समस्या न इंधन की खपत। सबसे अच्छी बात कोई प्रदूषण नहीं। इसका श्री गणेश हुआ है डुमरांव प्रखंड के रजडीहां गांव से। यहां महिलाओं का समूह बनाया गया है। जिसमें कुल इक्कीस औरतें शामिल हैं। जिनमें से एक अध्यक्ष, एक सचिव व दो कोषाध्यक्ष हैं। गांव में एक जगह चार जांता लगे हैं। जिस पर एक साथ आठ महिलाएं काम करती हैं।

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सुबह साढ़े दस बजे से कारखाना खुलता है। जो साढ़े पांच बजे तक चलता है। महिलाओं ने भी अपने समय के अनुरुप अपना दो-ढ़ाई घंटे की पाली बना ली है। जो बारी-बारी से अपने घर का काम निपटा यहां आ जाती हैं। प्रति किलो के हिसाब से इन्हें 25 रुपये दिए जाते हैं। कंपनी के सीईओ पुतुल पांडेय बताते हैं। समूह का बैंक खाता है। रुपये उसमें जमा हो जाते हैं। अमूमन प्रत्येक महिला दो घंटे के काम के बदले पचास रुपये कमा लेती है। हमारे यहां बना सत्तू पैकेट में तथा डब्बे में बंद हो बाहर जाता है। अपने जिले में इसका मूल्य 120 रुपये किलो तथा गैर प्रदेश में डब्बा बंद सत्तू का मूल्य 100 रुपये प्रति 400 ग्राम है। हमारे उत्पाद की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है। फिलहाल झारखंड और उत्तर प्रदेश से हमें आर्डर मिला है। हम उत्पादन बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। प्रशासन का सहयोग भी हमें प्राप्त हुआ है। तीन दिनों में हमें फूड प्रोसेसिंग का लाइसेंस मिल गया।

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1 COMMENT

  1. बहौत खूब सुंदर शोभनम् पहल है ये

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