पहले बेचने वाले देते थे अब पीने वाले भी दे रहे हैं, का समझे

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माउथ मीडिया, बक्सर खबर। बतकुच्चन गुरु से कल एक मंदिर में मुलाकात हो गई। अन्नकूट के भोज में शामिल होने पहुंचे थे। मिलते ही बोले का हाल हौ गुरू। उनको देखते ही मेरे जेहन में खुशी की लहर दौड़ गई। चलो भगवान के दरबार में एक सज्जन व्यक्ति से मुलाकात हुई। मैंने उनका अभिवादन किया और हाल पूछा। अपने स्वभाव की तरह फक्कड़ अंदाज में बिंदास बोलने लगे। हमारा क्या है, कल भी फकीर थे आज भी फकीर हैं। मैंने उनको छेड़ते हुए पूछा दिवाली कैसी रही। सुने रहे हैं नोटबंदी का असर दिख रहा है बाजार पर। वे बोले अरे महाराज आप किस गली में रहते हैं।

अब तो पहले से ज्यादा आमदनी है। पहले तो बेचे वाला देते थे, अब तो पीने वाले भी दे रहे हैं। बेचे वाला के संख्या में भी इजाफा हुआ है। लाइसेंस पर कम ही लोग बेचे वाले थे। अब तो गांवे-गांवे बेचे वाला घूम रहा है। इ जौन नया उत्पात नीति बना है, सब खरमंडल कर दिया है। पीने वाले परेशान हैं। महंगा खरीदते हैं उपर से वर्दी वालन का खौफ अलगे है। कवनो मिला शिकायत कर दिया तो उल्टे वहां भी जेब ढीली करे पड़े है। बतकुच्चन गुरू की बातें सुन मैंने साहस दिखाया और उनकी बात को काटा। ऐसा नहीं है कानून का राज है। ईमानदार लोग भी हैं सिस्टम में।

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वे बोले ई सब अब खाली बकचोदी करे वाली बात है। कानून का राज रहता तो अफसर गाड़ी पकड़ता नीचे वाला छोड़ देता। कवनो जमीन बेच देता है, कहीं खुलेआम वसूली हो रहा है। इ सब आरोप खाली कहे बदे ना है। एकरा खबर भी छप चुका है। कवनो कार्रवाई हुआ का? जी जमाना बदल रहा है, लेन देन का प्रचलन है। मेरी तरफ मुखातिब हो बोले सिस्टम में रहना है तो सेट करे सीख लिजिए। ना त एही तरे झोरा उठा के घूमिए। कवनो पूछे गा नहीं। उनकी बात से मैं झेप गया, उनको नमस्कार किया और जिधर लोग अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण कर रहे थे। उधर चल पड़ा। उनकी बातें सुन मैं अपने आप को ठगा महसूस कर रहा था।

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