परशुराम जयंती 25, अक्षय तृतीया 26 को

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-इस तिथि को होता है कृषि कार्य का मुहूर्त
बक्सर खबर। भारतीय धर्म शास्त्र में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है। इस तिथि को किए जाने वाले पुण्य कार्य का कभी क्षय नहीं होता। यह तिथि का पुण्य फल देने वाली भी बतायी गई है। भारतीय अध्यात्म के अनुसार मनीषियों ने व्रत-पर्वों का आयोजन कर व्यक्ति और समाज को पथभ्रष्ट होने से बचाया है। भारतीय कालगणना के अनुसार चार स्वयं सिद्ध अभिजित मुहूर्त हैं-चैत्रशुक्ल प्रतिपदा(गुडीपडव), आखातीज(अक्षयतृतीया),दशहरा और दीपावली के पूर्व की प्रदोष तिथि। इसके अलावे चार अक्षय मुहूर्त रामनवमी,अक्षयतृतीया, विजयादशमी और अक्षयनवमी है। अक्षय का शाब्दिक अर्थ है—जिसका कभी नाश यानि क्षय न हो। वैशाखशुक्ल तृतीया को मनाया जानेवाला यह व्रत पर्व वसन्त और ग्रीष्म के सन्धिकाल का महोत्सव एवं नवान्न का पर्व है। विष्णुधर्मसूत्र, मत्स्यपुराण, नारदपुराण तथा भविष्यादि पुराणों में इसका विस्तृत उल्लेख है।अक्षयतृतीया को दिये गये स्नान दान, जप, तप, हवनादि कर्मों का शुभ और अनन्त फल मिलता है—
कहा गया है – स्नात्वा हुत्वा च दत्त्वा च जप्त्वानन्तफलं लभेत।

भविष्यपुराण के अनुसार सभी कर्मो का फल अक्षय हो जाता है, इसलिये इसका नाम अक्षय पड़ा।
यदि यह तृतीया कृतिका नक्षत्र से युक्त हो हो तो विशेष फलदायिनी होती है। भविष्यपुराण यह भी कहता हैं कि इस तिथि की युगादि तिथियों मे गणना होती है। क्योंकि कृतयुग(सत्ययुग)–का कल्पभेद से त्रेतायुग का प्रारम्भ इसी तिथि से हुआ है। आज के दिन जल से भरे कलश, पंखे, चरणपादुकाएँ (खड़ाऊँ)पादत्राण (जूता), छाता, गौ, भूमि, स्वर्णपात्र आदि का दान पुण्यकारी माना गया है।
दूसरा अक्षयतृतीया में तृतीया तिथि, सोमवार और रोहिणी नक्षत्र तीनों का संयोग बहुत श्रेष्ठ माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार इस तिथि को चन्द्रमा के अस्त होते समय रोहिणी आगे होगी तो फसल के लिये अच्छा होगा और यदि पीछे होगी तो उपज अच्छी नहीं होगी। इन मान्यताओं के अनुसार वर्तमान वर्ष कृषि के लिए बेहतर है।
दिनांक : 25/04/2020 को 10: 19 बजे दिन से तृतीया तिथि प्रारम्भ हो रहा है। कृत्तिका नक्षत्र भी रात 07: 31 बजे तक है। चन्द्रास्त से 56मिनट पूर्व से रोहिणी नक्षत्र भोग काल आरम्भ हो जा रहा है। जो अगले दिन दिनांक-26/04/2020 को रात्रि 08: 54तक है। साथ ही तृतीया तिथि 11: 14 बजे दिन तक है। अत:अक्षयतृतीया दानादि कार्य उदया तिथि मे ही सर्वश्रेष्ठ फलदायी होगा। कृषि मुहूर्त तृतीया तिथि भोगकाल मे यानि 25 अप्रैल को10:19 बजे दिन के बाद से 26अप्रैल11:14 बजे दिन से पहले होगा। ध्यान देने योग्य यह हैं कि उदया तिथि में रोहिणी का संयोग 26 अप्रैल को होने से आज के दिन कृषि, आदि का मुहूर्त समहूत करना सर्वश्रेष्ठ फलदायी होगा। भगवान परशुराम जयन्ती 25 को ही सायंकाल प्रदोष समय में मनायी जायेगी। यह जानकारी त्योतिषाचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी ने दी है।

कृषि मुहूर्त के सम्बन्ध में भड्डरी की कहावते भी लोक में प्रसिद्ध है।—
अखै तीज रोहिणी न होई।
पौष अमावस मूल न जोई।।
राखी श्रवणो हीन विचारो।
कातिक पूनो कृत्तिका टारो।।
महि माहीं खल बलहि प्रकासै।
कहत भड्डरी सालि विनासै।।
अर्थात – वैशाख की अक्षयतृतीया को यदि रोहिणी न हो, पौष की अमावस्या को मूल न हो, रक्षाबंधन के दिन श्रवण और कार्तिक पूर्णिमा को कृत्तिका न हो तो पृथ्वी पर दुष्टों का बल बढ़ेगा और उस साल फसल अच्छी न होगी।
इस वर्ष संवत 2077 में पौष अमावस्या को सिर्फ मूल नक्षत्र नहीं है। बाकी सभी योग विद्यमान है। अत:अगली फसल के लिये उत्तम उत्पादन का योग है।

पंडित नरोत्तम द्विवेदी

भारतीय ज्योतिष के अनुसार कृषि मुहूर्त के लिए राशि के जातक का अलग-अलग प्रभाव होता है। इस वर्ष के योग के अनुसार
राशिनुसार कृषि मुहूर्त विचार—
कर्क और सिंह राशि वालों के लिये कृषि मुहूर्त यानि समहूत करना सर्वश्रेष्ठ फलदायी होगा।

मेष,वृष,तुला,वृश्चिक,मकर और कुम्भ राशि वालों के लिये कृषि मुहूर्त समहूत करना मिश्रित यानि मध्यम फलदायी होगा।

मिथुन,कन्या राशि वालों के लिये निकृष्ट फलदायी यानि हानिकारक होगा।
आलेख :- पंडित नरोत्तम द्विवेदी

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