‌‌‌पढ़ा लिखा बकलोल मिजाज उबजिया देता है

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बक्सर खबर (माउथ मीडिया)। बड़ बकलोल आदमी है। ओकरा लगता है केहू के बुझा नहीं रहा है। शिखंडी के आगे कर के पीछे से खेला खेल रहा है। हमरा जवार में एगो कहावत है। चालाक आदमी तीन जगह मइला लगाता है। हमारा बुझाता है, एकर भी उहे हाल हुआ है। अरे आदमी उहे पुजाता है, जौन मनई समाज के भला करे है। जौन मिला आम आदमी के परेशान करेगा ओ ससुर के जग हसाई होवे है। अइसने आदमी के लोग बकलोल कहते हैं। यह बातें बतकुच्चन गुरू कुछ लोगों को सुना रहे थे। मैंने देखा वहां दो चार लोग जमा थे। मैं भी उनके पास पहुंचा।

मुझे देखते ही वे एक दम से पलट गए। बातें कुछ और हो रहीं थी। सामने पड़ते ही सवाल दाग दिए। आओ गुरू आओ, हमरा इ बताओं उ का कहते हैं खुबे पढ़ के जौन डिग्री लेता हैं और फिर साहेब बन जाता है, अइसा वैसा बन जाता है। उ मिला बहुत चलाक होता है का? उनका सवाल सुन में थोड़ा असमंजस में पड़ गया। जवाब स्वरुप मैं कुछ बोलता उससे पहले ही वे फिर शुरू हो गए। छोड़ो गुरू तुम क्या बोलोगे। तुम ठहरे लिखने पढ़ने वाले। अइसन आदमी के तरफदारी करोगे। हम तोका बता देते हैं। कतनो पढ़ाई पढ़ो, कवनो अफसर बनो। समाज का सर्टिफिकेट तोरा काम देख के मिलता है, का समझे। तोहू के सुने के मिला होगा। निक-निक मनई के लोग कहते हैं महा चोर आ गवा है, गटकलील है, महा भ्रष्ट है, बड़का बकलोल है। इ जनता कहती है, काम देख के।

तु बताओ पढ़ लिख के अइसा वैसा बने वालन के कितना लिखल किताब पढ़े हो। कवनो किलास में चलता है। इ सब का कवनो कबिता, कहनी, श्लोक पढ़े हो। कवनो लिखा भी होगा तो ओकरा जनता जानती है। जौन लोग लिखे हैं व अइसा वैसा का डिग्री लिए थे। अरे गुरू काबिल होवे बदे डिग्री से ज्यादा सोच व संस्कार जरुरी है। करो-करो जो मन में आवे करो, तोरा हिसाब भी होगा। बहुते आए बहुते गए, सबका हिसाब होगा। यह कहते हुए बतकुच्चन गुरू अपनी राह चले गए। मैं उनकी बातों का ओर-छोर मिलाता ही रह गया। नोट: माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। जो शुक्रवार को प्रकाशित होता है।

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