केन्द्रीय जेल के बंदियों ने जाना योग-ध्यान से मन को शांत करना

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-आर्ट ऑफ लिविंग ने सीखाया जीवन को सुधारने का सुगम तरीका
बक्सर खबर। किसी ने कहा कि अपराध से दूरी बनाएं अपराधी से नहीं। उन्हें भी बेहतर जीवन जीने की कला सीखाई जानी चाहिए। पिछले छह दिन से ऐसा ही नेक कार्य आर्ट ऑफ लिविंग संस्था ने किया। केन्द्रीय कारा बक्सर में नेशनल फैकेल्टी वर्षा पाण्डेय ने सात दिनों तक यहां के ढाई सौ बंदियों को योग व ध्यान तथा प्राणायाम की जानकारी दी। साथ ही उन्हें सकारात्मक सोचने और करने की सीख भी दी गई।

श्रीमती पांडेय ने कहा मन की गहराई में जमे अवसाद, दु:ख व नकारात्मकता को दूर कर जीवन को प्रफुल्लता, उत्साह और सकारात्मकता के साथ- साथ शांति से जीवन जीने की कुंजी इस कार्यक्रम में प्राप्त किया जा सकता है। सोमवार को जब कार्यक्रम संपन्न हुआ तो कैदियों ने इस अवसर को अपने जीवन का बेहतर समय बताया। जेल सुपरिटेंडेंट राजीव कुमार ने कहा कि अपराध अशांत मन की उपज है।

प्रशिक्षण प्राप्त करते केन्द्री कारा के बंदी

योग और सुदर्शन क्रिया के नियमित अभ्यास से शरीर को स्वस्थ और अस्थिर मन को शांत किया जा सकता है। उन्होंने केंद्रीय कारा, बक्सर के समस्त कैदियों (लगभग 1700 कैदियों) को आर्ट ऑफ लिविंग के प्रिजन स्मार्ट प्रोग्राम से जोड़ने हेतु प्रति माह एक कार्यक्रम आयोजित कराने की बात कही। मौके पर जेल उपाधीक्षक त्रिभुवन सिंह सहायक अधीक्षक सत्यजित कुमार भी उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम आर्ट ऑफ लिविंग के स्टेट एपेक्स मेंबर दीपक पाण्डेय के सार्थक प्रयास से सफल हो सका। इसके लिए उन्हें बक्सर पत्रकार संघ ने भी बधाई दी। इस कार्यक्रम में अभिराम सुन्दर, श्वेतप्रकाश, मनोज कुमार व हेमदास का भरपूर सहयोग रहा।

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