‌‌माई बिसरी, बाबू बिसरी पंचकोसवा के लिट्टी-भंटा नाही बिसरी

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-पंचकोशी परिक्रमा की भीड़ से पट गया शहर
बक्सर खबर। विश्व प्रसिद्ध बक्सर का पंचकोशी मेला रविवार को संपन्न हो गया। रविवार की तड़के ही शहर के सभी गंगा घाट श्रद्धालुओं से पट गए और फिर शुरू हुआ लिट्टी-चोखा बनाने का सिलसिला। नतीजा सुबह के आठ बजते-बजते पूरा शहर जाम हो गया। सड़क मार्ग से लेकर रेल मार्ग से लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। भीड़ से बचने के लिए शहर के लोगों ने या तो रास्ते बदल लिए या फिर घरों से बाहर नहीं निकले।

चारो तरफ धुएं का गुब्बार उठता दिख रहा था। मजहब की दीवारें भी गिर गई। लोग मजार में भी जाकर लिट्टी-चोखा बनाते देखे गए। गंगा तट से लेकर मंदिर और किला मैदान तक हर जगह बस-बस लोग ही लोग। ऐसी मान्यता है कि मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को भगवान राम ने बक्सर में लिट्टी-चोखा का प्रसाद ग्रहण किया था।

बुढ़वा मंदिर के समीप आयोजित कार्यक्रम में शामिल संत

जिसको लेकर लोग एक कहावत दुहराते हैं। माई बिसरी, बाबू बिसरी लेकिन पंचकोसवा के लिट्टी-भंटा नाही बिसरी। वह कहावत चिरतार्थ होती दिखी। जिसमें शामिल होने लोग, गाजीपुर, मउ, बलियां, सासाराम, आरा, कैमूर से यहां आए थे। पंचकोशी परिक्रमा समिति ने भी आयोजन के समापन पर चरित्रवन स्थित बुढ़वा शिव मंदिर के महंत अच्युत प्रपन्ना चार्य जी के नेतृत्व में कार्यक्रम आयोजित हुआ।

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