बक्सर को वैश्विक आध्यात्मिक मानचित्र पर लाने की दिशा में एक मजबूत कदम बक्सर खबर। त्रेता युग की पावन स्मृतियों से जुड़ी और भगवान राम की पदचिह्नों को सहेजती “रघुभूमि से तपोभूमि तक” यात्रा शुक्रवार को श्रद्धा और परंपरा के साथ सम्पन्न हो गई। अयोध्या से प्रारंभ हुई इस भव्य यात्रा का स्वागत शहर के गोलंबर स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में हुआ, जहां भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और महर्षि विश्वामित्र की प्रतीकात्मक आरती की गई। “जहं-जहं चरण पड़े रघुवर के” की भावना को आत्मसात करती यह यात्रा उन पौराणिक स्थलों से होकर गुजरी, जहां त्रेता युग में भगवान राम, लक्ष्मण और विश्वामित्र ने विश्राम किया था। गोलंबर से बाईपास होते हुए श्रद्धालु रामरेखा घाट पहुंचे, जहां गंगा स्नान और पूजन के बाद यात्रा राम चबूतरा, चरित्रवन, संगमेश्वर नाथ, वामन अवतार स्थल, विश्राम कुण्ड होते हुए बसांव मठिया पहुंची।
मठिया के पीठाधीश्वर परम पूज्य अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज के आशीर्वचनों के साथ इस दिव्य यात्रा का समापन हुआ। यहां श्रद्धालुओं ने आध्यात्मिक उन्नयन का अनुभव किया और सिद्धाश्रम की धार्मिक गरिमा को नमन किया। इस यात्रा का कुशल संचालन समाजसेवी और भाजपा नेत्री वर्षा पाण्डेय के नेतृत्व में हुआ। आयोजन में विश्व हिन्दू परिषद सहित दर्जनों सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी निभाई। प्रमुख सहयोगियों में अरविन्द सिंह, जगदीश पाण्डेय, ईश्वर दयाल, नीलम सहाय, अर्चना वर्मा, रीना राय समेत कई श्रद्धालु शामिल रहे।

यात्रा के दौरान वर्षा पाण्डेय ने कहा कि “बक्सर केवल एक नगर नहीं, यह एक जीवित रामायण है। मेरा संकल्प है कि इसे रामायण सर्किट का वैश्विक केंद्र बनाकर धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक चेतना का केंद्र बनाया जाए।” उन्होंने गंगा-ठोरा संगम, सिद्धाश्रम और वामन अवतार स्थल जैसे पौराणिक स्थलों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार पर जोर दिया। इस यात्रा के माध्यम से न सिर्फ परंपरा का पुनर्जीवन हुआ, बल्कि बक्सर की धार्मिक पहचान को नई ऊर्जा मिली। जन-जन में रामायण कालीन स्थलों के प्रति नई जागरूकता आई है, जो इस भूमि को पुनः तपोभूमि के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।