अपने विभाग को दे रहा था धोखा, अब खा रहा है चोखा

0
926

बक्सर खबर ( माउथ मीडिया )। बतकुच्चन गुरू से राह चलते मुलाकात हो गई। उनके चेहरे पर बड़ी ही प्यारी मुस्कान थी। देखते ही मैंने उनको राम-सलाम बोला। इशारा करते हुए बोले आओ गुरू बैठो। आज हमरा मिजाज मस्त है। बड़ा बढ़िया साहब आवा है जिला में। देखे से लोग समझते थे। अभी नवा अफसर है। कोई के बोलेगा नहीं। लेकिन, उ मनई पहुंचा गुरु है। हम समझे रहे नया जमाना का अफसर है। झाड़-फूंक करके छोड़ देता होगा। लेकिन, गुरू उ जब फटे है। आवाज भी न हो और परखच्चा उड़ा दे। बतकुच्चन गुरु बोले जा रहे थे। मैं चुपचाप सुन रहा था। लेकिन, उनकी बातें मेरे पल्ले पड़ नहीं रही थी।

मैंने हिम्मत की और पूछ लिया। हमको पल्ले नहीं पड़ रही है आपकी बात़ ! मेरा सवाल सुनते ही वे उखड़ गए। घोचें मनई का हो का एकदम से। समझदार बदे इशारा काफी होत है। तोका लिख के देंगे तब समझ में आवेगा। अरे यहां कुछ लोग बड़ा दिन से चुपे दही जमा के खा रहे थे। सहेबा अइसन कोड़ा मारा है कि पूछो नहीं गुरू। तु इ न समझो की उ कोड़ा एक मिला पर पड़ा है। कई गटकलील सारे कराह रहे हैं। कोई से कह भी ना सकत हैं। दरद भीतरे दबा के चल रहे हैं सब के सब। हम सुने रहे कि इधर का बात उधर करत रहा सब। ललका पानी वालन से भी उ सब का सांठगांठ था, का समझे।

बड़ बढ़िया काम किया है सहेबवा। ऐही बदे हमारा मिजाज मस्त है, का समझे। इतना कह बतकुच्चन गुरू झटके से खड़े हुए और आगे निकल गए। मैं उनको जाते देखता रहा। और सोचता रहा। जरूर कुछ मिला कवनों विभाग में सोटाया है। तभी बतकुच्चन गुरू इतने खुश नजर आ रहे हैं। हालांकि मेरा अनुमान कितना सही है। मैं कह नहीं सकता। लेकिन, यह तो तय है, कुछ अंदर खाने में बड़ा हुआ है। जिसकी भनक बतकुच्चन गुरु को लगी होगी। ( माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। यह प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है। )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here