रेल कॉरिडोर के भूमि अधिग्रहण का किसानों ने किया विरोध

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-चौसा में बन रहे थर्मल पावर के लिए बिछाई जानी है पटरी
बक्सर खबर। चौसा में बन रहे रेल थर्मल पावर प्रोजेक्ट का कार्य तेजी से चल रहा है। 2023 में यहां 650 मेगावाट की एक यूनिट को चालू किया जाना है। जिसके लिए यहां कोयले की आपूर्ति अनिवार्य है। लेकिन, उसके लिए थर्मल पावर तक रेलवे की पटरी बिछाई जानी है। लेकिन, उसके लिए जिस भूमि का अधिग्रहण होना है। उसका किसानों ने विरोध शुरू कर दिया है। उनका कहना है, हमें मौजूदा दर से भूमि का मुआवजा चाहिए। जबकि संबंधित कंपनी एसजेवीएन का कहना है। पहले से राशि तय है। उसके अनुरूप मुआवजा मिलेगा। इसको लेकर पिछले कुछ माह से विरोध चल रहा है।

इसी बीच आज सोमवार को भूमि की मॉपी कराने चौसा अंचल के सीओ पहुंचे तो किसानों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था, जब प्लांट के लिए वर्ष 2016 में मुआवजे का भुगतान हो रहा था। तभी हमें रेल परिपथ में आने वाली भूमि का भुगतान क्यूं नहीं किया गया। आज हमारी जमा राशि दोगुनी हो गई होती। आज छह वर्ष बाद उसी दर पर भुगतान की बात हो रही है जो उचित नहीं है। आज जमीन अधिग्रहित हो रही है तो हमें मौजूदा दर के अनुसार इसका भुगतान किया जाए।

शिविर लगा धरना देते किसान

किसानों के विरोध को देखते हुए वहां पुलिस बुलानी पड़ी। विरोध को देखते हुए फिलहाल कार्य रुक गया है। प्रदर्शन करने वालों में बनारपुर, बेचनपुरवा, मोहनपुरवा, अखौरीपुर, कनकनारायनपुर एवं न्यायीपुर के किसान शामिल थे। इनमें जो प्रमुख भूधारी थे उनमें नन्दलाल सिंह, अंशु चौबे, अशोक तिवारी, धीरज तिवारी, मुन्ना तिवारी, शैलेश रॉय, धर्मराज सिंह, रामावतार सिंह, सुरेश सिंह यादव, साधु यादव, गौरव राय, अमरनाथ उपाध्याय, सुरेंद्र सिंह, हरिश्चंद्र प्रसाद वगैरह लोग उपस्थित रहे।

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