सीता राम विवाह महोत्सव : पांचवें दिन हुई अरण्य कांड की कथा

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सीता राम महोत्सव : पांचवें दिन हुई अरण्य कांड की कथा
बक्सर खबर। सीता राम विवाह महोत्सव के पांचवे दिन। श्रीमद् वाल्मीकि रामायण की कथा हुई। कथा व्यास जयकांत शास्त्री जी महाराज ने कहा अरण्य काण्ड में धर्म एवं साधु जनों के संरक्षण का भव्य निरूपण है। महाराज ने विराध नामक राक्षस के वध तथा महर्षि शरभंग की कथा का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भयंकर बलशाली विराध राक्षस का वध करने के पश्चात् राम, सीता और लक्ष्मण महर्षि शरभंग के आश्रम में पहुंचे। महर्षि शरभंग अत्यन्त वृद्ध थे।

उनका शरीर जर्जर हो चुका था। ऐसा प्रतीत होता था कि उनका अन्त-काल निकट है। सीता और लक्ष्मण सहित राम ने महर्षि के चरणस्पर्श किया और उन्हें अपना परिचय दिया। महर्षि शरभंग ने उनका सत्कार करते हुए कहा, हे राम। इस वन-प्रान्त में कभी-कभी ही तुम जैसे अतिथि आते हैं। अपना शरीर त्याग करने के पहले मैं तुम्हारा दर्शन करना चाहता था। इसलिये तुम्हारी ही प्रतीक्षा में मैंने अब तक अपना शरीर नहीं त्यागा था। अब तुम्हारे दर्शन हो गये, इसलिये मैं इस नश्वर एवं जर्जर शरीर का परित्याग कर ब्रह्मलोक में जाउँगा। मेरे शरीर त्याग करने के बाद तुम इस वन में निवास करने वाले महामुनि सुतीक्ष्ण के पास चले जाना, वे ही तुम्हारा कल्याण करेंगे।


इतना कह कर महर्षि ने विधिवत अग्नि की स्थापना करके उसे प्रज्वलित किया और घी की आहुति देकर मंत्रोच्चार करते हुये स्वयं अपने शरीर को अग्नि को समर्पित करके ब्रह्मलोक को गमन किया। महामुनि शरभंग के ब्रह्मलोक गमन के पश्चात् आश्रम की निकटवर्ती कुटियाओं में निवास करने वाले ऋषि-मुनियों ने वहां आकर रामचन्द्र से प्रार्थना की, हे राघव! क्षत्रिय नरेश होने के नाते हम लोगों की रक्षा करना आपका कर्तव्य है। जो हमारी रक्षा करता है उसे भी हमारी तपस्या के चौथाई भाग का फल प्राप्त होता है।


महाराज श्री ने कहा कि ॠषि मुनियों का मार्ग ही, कल्याण का मार्ग होता है। जो इस मार्ग से विमुख होता है उसमें आसुरी प्रवृत्तियों का बास होने लगता है। भगवान और संतों में दोष देखना ही आसुरी प्रवृत्ति है। पूर्व जन्मों के स्वाद कर्मों के फल स्वरुप सनातन धर्म और भारतवर्ष में मानव के रूप में जन्म मिलता है। भगवान की कथा के श्रवण से भगवान का साक्षात्कार होता है और भगवान ह्रदय में विराजते हैं,और कल्याण के मार्ग की ओर बढऩे के लिए हमें शक्ति प्रदान करते हैं। कथा समाप्ति के उपरांत सायंकाल में आश्रम के परिकरों के द्वारा श्री भक्तमाल जी का संगीतमय सामूहिक पाठ किया गया। कल पूज्य श्री खाकी बाबा सरकार की पुण्यतिथिके अवसर पर समष्टि भंडारा का आयोजन किया जाएगा, एवं पूजन किया जाएगा।

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