‌‌‌स्कूटर से मां को भारत भ्रमण करा रहे हैं कलिकाल के श्रवण कुमार

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– पांच वर्ष से जारी है सफर, कर चुके हैं 67 हजार किलोमीटर का सफर
– मातृ सेवा से प्रभावित हो आनंद महिंद्रा ने भेंट की थी कार
बक्सर खबर। कर्नाटक के मैसूर इलाके के रहने वाले दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार को समाज ने श्रवण कुमार की उपाधि दे दी है। स्वयं उनकी मां चूड़ारत्नम्मा भी उन्हें श्रवण कुमार के नाम से बुलाने लगीं हैं। क्योंकि जिस तरह त्रेता युग में श्रवण कुमार ने अपने मांता-पिता को तीर्थाटन कराया था। उसी तरह डी कृष्ण कुमार पिछले पांच वर्ष से मां को भारत भ्रमण करा रहे हैं। उनकी इस यात्रा में बीस वर्ष का पुराना स्कूटर भी शामिल है। जिससे उन्होंने अभी तक 67 हजार किलोमीटर से अधिक का सफर पूरा किया है। 42 वर्ष की उम्र में उन्होंने मां के लिए कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़ी दी थी। शुक्रवार को वे बक्सर (सिद्धाश्रम) पहुंचे। यहां रामेश्वर मंदिर समेत प्रमुख मंदिरों का दर्शन करने के उपरांत वे लक्ष्मीनारायण मंदिर में रुके। यहां से पटना के लिए रवाना होने से पूर्व जब उनसे इस सिलसिले में बात हुई तो हमने उनसे पूछा।

भारत भ्रमण करने की इस कठिन यात्रा के पीछे का क्या कारण है ? उन्होंने बताया कि पिता दक्षिणामूर्ति का स्वर्गवास 2015 में हो गया। हम संयुक्त परिवार में रहते हैं। जिसके कुल दस सदस्य हैं। कुछ वर्ष बाद मां के साथ बैठा था। मैंने पूछा क्या कभी आपने तिरुपति या अन्य मंदिरों का दर्शन किया है। उन्होंने कहा बेटा परिवार का काम करते-करते 68 वर्ष गुजर गए। पास गांव के मंदिर भी मैं नहीं गई। ऐसा कहते वक्त मां के चेहरे पर निराशा के भाव थे। उसी दिन मैंने तय किया। इनको भारत भ्रमण पर लेकर जाउंगा। 14 फरवरी 2018 को मैंने बेंगलुरू कंपनी में रिजाइन किया और 16 फरवरी से यात्रा शुरू कर दी। तब से लेकर आज तक सिलसिला चल रहा है। मां को कन्याकुमारी से कश्मीर तक का सफर इसी स्कूटर से कराया है। इसके अलावा नेपाल, भूटान, वर्मा आदि भी गए हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश का कुछ हिस्सा छूट गया है। जिसे हम पूरा कर रहे हैं।

– गंगा तंट पर डीकृष्ण कुमार

कोविड में रोकनी पड़ी थी यात्रा
बक्सर खबर। जब कोविड आया तो हमें कुछ समय के लिए यात्रा रोकनी पड़ी। 2020 में उस समय हम लोग भुटान से लौट रहे थे। देश की सीमा पर हमें रोक दिया गया। क्योंकि सीमाएं सील कर दी गई थी। वहां 22 दिनों तक हम लोगों फंसे रहे। फिर पास बना तो हम लोग वापस मैसूर चले गए। 15 अगस्त 22 से पुन: यात्रा की शुरूआत की है। पहले उत्तर प्रदेश आए वहां कुछ जगहों पर हमारा स्वागत भी हुआ। काशी विश्वनाथ मंदिर में तो बहुत ही आदर मिला। आज सिद्धाश्रम में मां गंगा के तट पर रुके हैं। हम जहां भी जाते हैं। होटल में नहीं मंदिरों में रुकते हैं। वहीं का प्रसाद व तीर्थ ग्रहण करते हैं। नौकरी के दौरान जो कमाया था। उसी खर्चे से भ्रमण भी कर रहे हैं। किसी से कोई सहयोग नहीं लेते।

देश के प्रमुख व्यवसायी आनंद महिंद्रा ने भेंट की थी कार
बक्सर खबर। डी कृष्ण कुमार बताते हैं। जब उनकी स्टोरी कुछ अखबारों और मीडिया में आई तो उससे प्रभावित हो आनंद महिंद्रा जी ने हमें उपहार स्वरूप एक कार भेंट की थी। लेकिन, हमने अपनी यात्रा बीस वर्ष पुराने इसकी स्कूटर से जारी रखी है। क्योंकि यह पिता जी का खरीदा हुआ स्कूटर है। हमारा मानना है, हम दो नहीं तीन इस यात्रा में शामिल हैं। डी कुमार ने मां की सेवा का ऐसा संकल्प लिया है कि उन्होंने शादी भी नहीं की। उनके साथ सफर कर रही मां चूड़ारत्नम्मा ने कहा कि भगवान ऐसा बेटा सभी को दे। यह सच्चा श्रवण कुमार है।

यात्रा का साथी हैं एक छाता व चंद जोड़ी कपड़े
बक्सर खबर। डी कुमार बताते हैं इस यात्रा में स्कूटर के अलावा हमारे पास एक झोले में तीन-चार कपड़े हैं। एक पुराना छाता और पानी की दो बोतल। टूटी हुई स्क्रीन का मोबाइल फोन भी उनके पास है। जिससे वे अपनी यात्रा की यादों को सहेजते चले जा रहे हैं। उन्होंने बताया यहां से बिहार भ्रमण के बाद जनकपुर (नेपाल ) तक जाना है। मां की उम्र ज्यादा है। इस लिए बहुत इसका ख्याल रखना होता है। लेकिन, हम लोग डेढ़ सौ किलोमीटर तक का सफर रोज तय कर लेते हैं।

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