‌‌‌ विकास की गंगा का काला सच, अंधेरे में डूब गया शमशान घाट

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-राजस्व की उगाही करने वाला नगर परिषद क्यूं है मौन
बक्सर खबर। बक्सर का मुक्तिधाम जिसे आम भाषा में लोग शमशान घाट के नाम से संबोधित करते हैं। विकास के इस दौर में वह अंधेरे में डूबा हुआ है। गंगा का पानी तट के पास तक आ गया है। लोग टूटे सेड में दाह संस्कार की प्रक्रिया कर रहे हैं। लेकिन, वहां रोशनी का उचित इंतजाम नहीं है। यह तस्वीर जिसे आप इस खबर में देख रहे हैं। वह आज 20 सितंबर शाम सात बजे की है। जलती चिताओं की आग से रोशन इस शमशान की कहानी सदियों पुरानी है। लेकिन, यहां का इंतजाम बहुत पुराना नहीं है। सांसद विधायक को छोड़िए, मारिए गोली। उन्हें राजनीति से कहां फुरसत।

नगर परिषद जो यहां से राजस्व की उगाही करता है। वह क्योंकि ऐसी लापरवाही बरत रहा है। कुछ दिन पहले यहां एक हाई मास्ट लाइट लगा था। जो अक्सर बंद ही रहता है। हालांकि पूर्व में सांसद लालमुनी चौबे व फिर अश्विनी चौबे ने यहां कुछ सोलर लैंप लगाए थे। लेकिन, कुछ खराब हो गए और कुछ को घाट के पास रहने वाले दानवीरों ने पचा लिया। ले देकर यहां की स्थिति अच्छी नहीं है। एक तरफ और नया सेड बन रहा है। लेकिन, वह भी अधूरा पड़ा है।

और उससे निकली लोहे की सरिया अंधेरे में किसी को घायल करने की जुगत में ताक लगाए बैठी हैं। कहने का सीधा तात्पर्य है, अंधेरे में यहां कब कौन कैसे चोटिल हो जाए। कहा नहीं जा सकता। बड़े हाकिमों को यहां आना नहीं है। क्योंकि यहां तो वही आता है, जिसका समाज से लगाव होता है। इसे लिखने का अभिप्राय है, शायद यह शब्द किसी संवेदनशील को चूभे और यहां की हालत में सुधार हो। कुल मिलाकर यहां तक आने वाले रास्ते के अगल-बगल जो अवैध कब्जे वाली दुकानें हैं। उनके द्वारा लगाए गए बल्ब पथ को रौशन कर रहे हैं।

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