बक्सर खबर। माउथ मीडिया :
अब तो आदत सी हो गई है। बतकुच्चन गुरु से बात नहीं हो तो कुछ अधूरा-अधूरा से लगता है। शुक्रवार आता है तो बरबस उनकी याद आ जाती है। उनसे मिलने की गरज से मैं दोपहर तक उनकी तलाश करता रहा। एक जगह मुलाकात हो ही गई। मिलते ही बोले का गुरु कहां थे अब तक। उनकी बात सुन गुस्सा आया। लो हम इनको ढूंढ रहे हैं। यह हैं कि हम्हीं से सवाल कर रहे हैं। लेकिन, उनके तजुर्बे वाली बात सुनने की ललक ने मेरी जबान पर जैसे ताला लगा दिया। मेरे वहां पहुंचते ही वह जैसे मेरे हो गए और साथ ही साथ शुरू भी हो गए।
गुरु का बतावें ससुरा जमाना बहुते खबरा हो गया है। कवनो मनई के लाज डर ना हौ। अब हम तोहके का बतावें। पिछला एतवार हम अपने शहर बनारस जा रहे थे। शाम के बकत हम उ नई ट्रेनाव में बइठे। जौन बनारस-पटना कइले हौ। दू मिला बैठ के कचर-कचर कइले रहन सरवा। ई चोर उ चोर, प्रधानमंत्रियो चोर, मुख्यमंत्रियो चोर, डीएम चोर, कप्तान चोर। उनहन के बात गुरु हम्मर भेजा खराब कर दि..हिस। एतने में टीटी आवा रहा। टीकस मांग दीस, दूनों दांत निपोर दिए रहें। एक बोला -बनारस जाए के हौ, बक्सर से आ रहे हैं। भैया ट्रेन में स्टाप हैं। इतना सुन टीटीया बउरा गया। दूसरे मिला से बोला तोरा भाई तो रेल मंत्री होंगे। उ बोला हम्मर माई प्रधान हैं। टीटीया दूनों के धमका के बोला। अबकी छोड देत हैं। आदत सुधार लो, माई या भाई गवर्नर हैं तो उन्हीं को रहने दो। नहीं तो टिकट के साथ जुर्माना भी देना होगा। गुरु यही हाल देश का हौ। यहां जे स्वयं चोर है सरउ व दूसरे को गाली दे रहा है। बिधयका खुदे चोर है, लेकिन मंत्री को गरिया रहा है।