स्थायी केंद्र की बात अफवाह, कैथी पढ़ाई के लिए सीताराम उपाध्याय संग्रहालय में नहीं खुलेगा कोई केंद्र: संग्रहालयाध्यक्ष ने किया खंडन बक्सर खबर। भूले-बिसरे इतिहास की गवाही देने वाली कैथी लिपि को फिर से जीवित करने की कोशिश शुरू होने जा रही है। शहर के सीताराम उपाध्याय संग्रहालय में अगस्त महीने के पहले सप्ताह में तीन दिनों का विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसकी जानकारी संग्रहालय के प्रभारी संग्रहालयाध्यक्ष शिव कुमार मिश्रा ने दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कार्यक्रम को लेकर कुछ अखबारों में यह दावा किया गया कि बक्सर म्यूजियम में कैथी पढ़ाई का स्थाई केंद्र खुलेगा, जो गलत है। फिलहाल मात्र तीन दिन की कक्षा ही आयोजित की जा रही है। इच्छुक प्रतिभागियों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा, जिसकी प्रक्रिया जुलाई में शुरू होगी।
शिव कुमार मिश्रा ने बताया कि यह पहल राज्य सरकार द्वारा किए गए एक व्यापक सर्वेक्षण के बाद की जा रही है। सर्वे में सामने आया कि राजस्व व न्याय से जुड़े कई पुराने अभिलेख कैथी लिपि में हैं, जिन्हें पढ़ने में आज के अधिकारी असमर्थ हैं। इससे जमीन विवादों के निपटारे और कर्ज से जुड़े मामलों में देरी हो रही है। कैथी लिपि का उपयोग इस क्षेत्र में लगभग एक हजार वर्षों से होता आया है। कैमूर जिले के नाथ शिव मंदिर, भागलपुर के बटेश्वर शिव मंदिर, मधेपुरा और मधुबनी जैसे क्षेत्रों में इसके कई शिलालेख आज भी मौजूद हैं। इतिहासकार मानते हैं कि शेरशाह सूरी से लेकर वीर कुंवर सिंह और दरभंगा के जमींदारों ने अपने दस्तावेजों के लिए इस लिपि का प्रयोग किया था।

कैथी में दक्षता की कमी के कारण सरकारी अफसर, वकील और कर्मचारी जमीन से जुड़े अभिलेखों को समझने में चूक जाते हैं, जिससे प्रशासनिक व न्यायिक प्रक्रिया बाधित होती है। मिश्रा कहते हैं, “कैथी में कार्यात्मक साक्षरता अब जरूरत बन गई है।” इस दिशा में पटना, भागलपुर, दरभंगा, नवादा और बेगूसराय जैसे शहरों में पहले से ही कई कार्यशालाएं हो चुकी हैं। राजस्व विभाग की पहल पर प्रीतम कुमार और वकार अहमद जैसे विशेषज्ञ कैथी लिपि का प्रशिक्षण दे रहे हैं और एक सीखने की पुस्तिका भी प्रकाशित की गई है। मैथिली, हीत्स संस्थान, बिहार पुरातत्व परिषद, इंटैच, सीआईएल मैसूरु सहित कई संस्थाएं इस अभियान से जुड़ी हैं।अब तो तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने भी छह महीने का कैथी प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू कर दिया है।