धर्म कथा का सातवां दिन: मार्कंडेय पुराण में शक्ति के तीन रूपों का विस्तार से वर्णन

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आचार्य कृष्णानंद शास्त्री ने कहा ‘बिना शक्ति के शक्तिमान होना संभव नहीं’                                   बक्सर खबर। सर्वजन कल्याण सेवा समिति सिद्धाश्रम धाम के तत्वावधान में रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में चल रहे 17वें धर्म आयोजन के सातवें दिन गुरुवार को कथा के दौरान शक्ति की महिमा का भावपूर्ण वर्णन किया गया। कथावाचक आचार्य कृष्णानंद शास्त्री उपाख्य पौराणिक जी महाराज ने मार्कंडेय पुराण के जरिए बताया कि कैसे शक्ति के तीन रूपों महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती द्वारा संसार की रक्षा, संहार और सृष्टि का संचालन होता है।

कथा के दौरान आचार्य शास्त्री जी ने कहा कि मार्कंडेय पुराण में बताया गया है कि पराशक्ति स्वयं को तीन रूपों में विभाजित करती है महाकाली, जो संहार करती हैं महालक्ष्मी, जो पालन करती हैं महा सरस्वती, जो सृष्टि करती हैं। इन तीनों शक्तियों द्वारा दानवों का विनाश कर संसार की रक्षा की जाती है। महाकाली ने मधु-कैटभ जैसे राक्षसों का संहार किया।महालक्ष्मी ने महिषासुर का वध कर पालन कार्य में आई बाधा को हटाया। सरस्वती माता ने शुंभ-निशुंभ जैसे असुरों का विनाश कर सृष्टि के संतुलन को बनाए रखा। कथावाचक ने कहा कि ये तीनों शक्तियां त्रिदेवों के साथ निवास करती हैं- लक्ष्मी माता भगवान विष्णु के साथ, सरस्वती माता ब्रह्मा जी के साथ, महाकाली भगवान शिव के साथ।

रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में कथा सुनती महिलाएं

आचार्य जी ने कहा, “हमारा सनातन धर्म स्त्री को सर्वोच्च स्थान देता है। तभी तो हम कहते हैं सीता-राम, राधा-कृष्ण, गौरी-शंकर, लक्ष्मी-नारायण। हम भारत को भी ‘भारत माता’ कहते हैं। यह देवीमय संसार है।” कथा के अंत में उन्होंने कहा, “शक्ति के बिना कोई भी शक्तिमान नहीं हो सकता। जैसे: धन के बिना कोई धनवान नहीं, विद्या के बिना कोई विद्वान नहीं, रूप के बिना कोई रूपवान नहीं हो सकता। उसी तरह शक्ति के बिना कोई शक्तिमान नहीं हो सकता।” आचार्य शास्त्री जी ने कहा कि मार्कंडेय पुराण एक प्रकार से शक्ति की महिमा का गीत है, जिसमें देवी की उपासना को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। यही वजह है कि यह पुराण आज भी जनमानस को नई ऊर्जा और विश्वास देता है। कथा के अगले दिन देवी के नवदुर्गा रूपों की महिमा पर प्रकाश डाला जाएगा। आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।

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