धर्म आयोजन के पंचम दिवस पर कथा वाचक ने बताई रावण के विनाश की असली वजह बक्सर खबर। सर्वजन कल्याण सेवा समिति द्वारा रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में आयोजित 17वें धर्म आयोजन के पंचम दिन मंगलवार को धर्म, नीति और आचरण की गूंज सुनाई दी। इस मौके पर कथा वाचक आचार्य कृष्णानंद शास्त्री उपाख्य पौराणिक जी महाराज ने श्रोताओं को धर्म की महत्ता समझाते हुए कहा कि धर्म ही एकमात्र ऐसा तत्व है जो न सिर्फ व्यक्ति को बल्कि पूरे समाज को सुख, शांति और समृद्धि की ओर ले जाता है।
उन्होंने कहा कि धर्मविहीन मनुष्य सिर्फ शरीरधारी होता है, उसका कोई चरित्र नहीं होता। वह मानव रूप में हिंसक जानवर जैसा होता है। इस संदर्भ में उन्होंने रावण और श्रीराम के जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि रावण के पास बल, विद्या, वैभव, पुत्र, भाई, दरबार, सेना और सुंदरियां सब कुछ था, लेकिन धर्म नहीं था। दूसरी ओर प्रभु श्रीराम के पास इन भौतिक वस्तुओं में से कुछ भी नहीं था ना घर, ना धन, ना सेना लेकिन उनके पास धर्म था, और धर्म के बल पर उन्होंने रावण जैसे शक्तिशाली राक्षस का विनाश किया।

उन्होंने बताया कि धर्म में तप और त्याग होता है, जबकि धन में भोग और संग्रह की प्रवृत्ति होती है। यही कारण है कि तमाम सुख-सुविधाओं के बावजूद रावण का अंत हो गया और राम को मर्यादा पुरुषोत्तम की उपाधि मिली। “धर्म ही सबसे बड़ा बल है। जो व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलता है, वही सच्चा बलवान है। अतः हमें चाहिए कि हम अधर्म का त्याग करें और जीवन में धर्म का आचरण करें। यही मानव का परम कर्तव्य है।” इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे और उन्होंने कथा के हर प्रसंग को श्रद्धा और ध्यानपूर्वक सुना। आयोजन में आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ-साथ सामाजिक चेतना का भी संदेश देखने को मिला।