रामरेखा घाट पर सम्पन्न हुआ 17वां धर्म आयोजन, शिव की आराधना से मिला अमरत्व का संदेश बक्सर खबर। सिद्धाश्रम धाम द्वारा आयोजित 17वां धर्म आयोजन लक्ष्मी नारायण महायज्ञ सह मार्कंडेय पुराण कथा का शुक्रवार को भव्य समापन हुआ। यह आयोजन रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में सर्वजन कल्याण सेवा समिति के तत्वावधान में किया गया था। कथावाचक आचार्य कृष्णानंद शास्त्री उपाख्य पौराणिक जी महाराज ने अष्टम दिवस की कथा में कहा कि “पुराण केवल कथा नहीं, बल्कि अध्यात्म, ज्ञान और वेद विज्ञान का सार है।
वेद रूपी ज्ञान को समझने के लिए पुराण आवश्यक हैं।” उन्होंने बताया कि पुराणों की कुल संख्या केवल 18 नहीं बल्कि असंख्य है, लेकिन 18 मुख्य पुराण ही विश्व को मार्गदर्शन देने में सक्षम हैं। आचार्य जी ने मार्कंडेय पुराण की एक प्रेरणादायक कथा सुनाते हुए कहा कि मृकंडु ऋषि के पुत्र मारकंडेय की आयु केवल 8 वर्ष निश्चित थी। जब उन्हें यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने भगवान शिव की शरण ली और तपस्या में लीन हो गए। “शिव आराधना से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें चिरंजीवी बना दिया।”

इस कथा से यह संदेश मिलता है कि ईश्वर की आराधना और शुभ कर्म के बल पर भाग्य और मृत्यु जैसे लेख भी बदले जा सकते हैं। 13 जून से प्रारंभ हुआ यह महायज्ञ शुक्रवार को पूर्णाहुति और विशाल भंडारे के साथ सम्पन्न हुआ।भंडारे में हजारों श्रद्धालु, साधु-संत, ब्राह्मण एवं विद्वानजन शामिल हुए और प्रसाद ग्रहण किया।कार्यक्रम के अंत में साधु-संतों को अंगवस्त्र एवं दक्षिणा देकर सम्मानित किया गया। नगरवासियों के बीच भी प्रसाद वितरित किया गया।