बालकों के सर्वागीण विकास से ही राष्ट्र व समाज होगा विकसित — दिलीप

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बक्सर खबर :  समाज का नैतिक और चारित्रिक पतन हो रहा है। कारण शिक्षा से धर्म को अलग करना है। बचपन से बालकों में धर्म के प्रति प्रेरित करना चाहिए ताकि बालक, समाज व राष्ट्र का उत्थान हो सके। उक्त बातें अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान, विद्या भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप बेतकेकर ने कही। अहिरौली स्थित सरस्वती विद्या मंदिर के वीर कुंवर सिंह सभागार में सोमवार को बोल रहे थे। चार दिवसीय प्रांतीय प्रधानाचार्य सम्मेलन के तीसरे दिन वे सभी को संबोधित कर रहे थे।

प्रशिक्षण लेते आचार्य
उन्होंने कहा तेजस्वी बालकों का निर्माण ही हमारा लक्ष्य है। हम दूसरों को उपदेश देने वाले न बनें बल्कि आदर्श स्थापित करें। हमे स्वामी विवेकानंद के सपनों का भारत बनाना है। क्षेत्रीय संगठन मंत्री दिवाकर घोष ने कहा कि सामाजिक असमानता को दूर कर समरस समाज का निर्माण करना हमारा लक्ष्य है। इसके लिए चरित्र निर्माण, छुआछूत की समाप्ति व व्यक्ति को व्यक्ति से प्रेम हो ऐसा हृदय परिवर्तन करना अतिआवश्यक है। इसके लिये विद्यालय में कार्ययोजना बनायी जानी चाहिए। मौके पर प्रदेश सचिव अमरनाथ प्रसाद ने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य व्यक्ति निर्माण है। यह चरित्र के द्वारा ही संभव है।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता राजमणि प्रसाद ने किया। मंच संचालन विभाग प्रमुख बजरंगी प्रसाद व राजेश रंजन ने संयुक्त रूप से किया। प्रधानाचार्य ने बताया कार्यक्रम समापन मंगलवार को होगा। मौके पर प्रदेश सह सचिव प्रकाश चंद्र जायसवाल, निर्मल जलान, रामलाल शर्मा, विभाग संयोजक एचएन सिंह, सचिव डॉ रमेश कुमार, वीरेन्द्र वीरेन्द्र कुमार, ब्रह्मदेव प्रसाद, राजेन्द्र प्रसाद, मिथिलेश ठाकुर, मिथिलेश राय, परशुराम राय,रमेश चन्द्र द्विवेदी समेत सैकड़ों लोगों शामिल थे।

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