‌‌‌ दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचा बक्सर, हालत देख हुए निराश

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-कृत्रिम रुप से ताड़का वध का दिखाया गया स्वरुप, आज जाएंगे अहिरौली
बक्सर खबर। दक्षिण भारत से तीर्थयात्रियों का जत्था बुधवार को बक्सर पहुंचा। इनकी संख्या लगभग दो हजार है। जो बेल कुड़ी कृष्णन स्वामी के साथ उन स्थानों का भ्रमण करने निकले हैं। जहां-जहां भगवान राम की यात्रा हुई है। तामील व कन्नड़ भाषा बोलने वाले लोगों के साथ कुछ जानकारी भी थे। जिन्होंने इस यात्रा की योजना बनाई थी। उन लोगों ने बताया कि पहले भी हम लोग यहां आते रहे हैं। वर्ष 2006 में, 2010, 2014 में पहले भी दूसरे तीर्थयात्रियों को लेकर यहां आ चुके हैं।

हालांकि श्रद्धालुओं में भगवान वामन का जन्म स्थान देखकर बहुत उत्साह था। क्योंकि वे उस धरा पर आए थे। जहां कभी भगवान विष्णु ने मानव अवतार के रूप में जन्म लिया था। लेकिन, उनको ताड़का वध देखने के लिए नहीं मिला। कार्यक्रम के संयोजकों ने नौलखा मंदिर के सहयोग से एक छोटी झांकी बनाई थी। जिससे दिखाकर उन्हें यहां का महत्व बताया गया। समिति के सदस्यों ने बताया कि यहां दो दिनों की यात्रा है। गुरुवार को हम लोग अहिल्या धाम जाएंगे। जहां श्राप का विमोचन हुआ था।

नौलखा मंदिर में बनाया गया कृत्रिम ताड़का वध का स्वरुप

इसके बाद यात्रा सीतामढ़ी और जनकपुर के लिए प्रस्थान करेंगी। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन से शहर के सभी होटल लॉज व रिक्शा वालों की चांदी रही। लेकिन, श्रद्धालुओं को कुछ भी व्यवस्थित ढंग से देखने के लिए नहीं मिला। जिसकी कमी सबको खटकी। इतना ही नहीं गाजीपुर और बक्सर दोनों तरफ के पुल भारी वाहनों के लिए बंद होने की वजह से इन सभी को ई रिक्शा के सहारे भरौली से बक्सर तक आना पड़ा।

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