रात से ही प्रारंभ हो जाएगा मौनी अमावस्या का स्नान

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-श्रद्धालुओं से पटा शहर, शुक्रवार को पूरे दिन होगा स्नान
बक्सर खबर। मौनी अमावस्या का मेला आज गुरुवार की रात्रि से ही प्रारंभ हो जाएगा। ऐसा इस लिए नहीं की श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हो गई है। वरन इस लिए कि गुरुवार रात्रि 1:41 से ही स्नान का मुहूर्त प्रारंभ हो जाएगा। वैसे ब्रह्म वेला में ही स्नान श्रेयकर होता है। अगर मुहूर्त की समाप्ति जिक्र करें तो वह शुक्रवार रात्रि 2:06 बजे समाप्त होगा। इस मेले का क्या महत्व है। अब एक नजर इस पर डालते हैं।

मेले का महत्व और कथा
बक्सर खबर। माघ मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या ‘मौनी अमावस्या’ के रुप मे प्रसिद्धि है। इस पवित्र तिथि पर मौन व्रत धारण कर पवित्र नदियों में स्नान करने से विशेष पुण्य फल मिलता है। आज के दिन मुनियों के समान आचरण पूर्वक स्नान दान करने का विशेष महत्त्व शास्त्रों में बताया गया है।
मौनी अमावस्या को नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नान करके तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आँवला, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। इस दिन साधु, महात्मा तथा ब्राह्मणों के सेवन के लिये अग्नि प्रज्वलित करना चाहिए तथा कम्बल आदि जाड़े के वस्त्र देने चाहिये—–
तैलमामलकाश्चैव तीर्थे देयास्तु नित्यशः।
ततः प्रज्वालयेद्वह्निं सेवनार्थे द्विजन्मनाम्।।
कम्बलाजिन रत्नानि वासांसि विविधानि च।
चोलकानी च देयानि
प्रच्छादनपटास्तथा।।
इस दिन गुड़ मे काला तिल मिलाकर लड्डू बनाना चाहिए तथा उसे लाल वस्त्र में बाँधकर ब्राह्मणों को देने ,भोजन कराने दक्षिणा देने का विधान है। स्नान दान पुण्य कर्मो के अतिरिक्त इस दिन पितृ–श्राद्धादि करने से पितरो की तृप्ति होती है। अतःआज के दिन किया जाने वाला थोड़ा भी पुण्य,दानादि का फल मेरु समान हो जाता है।
आचार्य , ज्योतिषाचार्य पं-नरोत्तम द्विवेदी

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