‌‌‌पुलिस की मेहरबानी से चिंदी चोर बन जाते हैं लुटेरे

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-दर्ज नहीं होती छोटी वारदातें, बढ़ता रहता है अपराधियों का हौसला
बक्सर खबर। चिंदी चोर, अर्थात गली और मुहल्ले में झपट्टा मारने वाले अपराधी। मजे में जरायम की दुनिया की तरफ बढ़ते चले जाते हैं। कोई अपराधी पहली दफा बैंक नहीं लुटता। वह धीरे-धीरे पारंगत होता है। जिस तरह बाइक चलाने का अभ्यास करने वाला नौजवान पहले खुले मैदान अथवा गली में अभ्यास करता है। फिर एक ऐसा समय आता है। वह सड़क पर फर्राटे भरने लगता है। उसी तरह आज मोबाइल छीनने वाला अपराधी कल रुपये लेकर बैंक जा रहे व्यवसायी को भी लूट लेता है। तब पुलिस कहती है, नए लड़के हैं। महज 18 से 20 वर्ष के। पुलिस उनकी पहचान नहीं कर पाती। क्योंकि वह आधुनिक दौर के अपराधी हैं।

लेकिन, यह भी सच है। कल का मोबाइल छीनने वाला ही आज का नया अपराधी है। रोज ही कहीं न कहीं यह सूचना मिलती है। सड़क पर चलते युवक का फोन बाइक सवार युवकों ने छीन लिया। लेकिन, उनकी शिकायत पुलिस दर्ज नहीं करती। अगर हो गई तो उसकी तस्दीक नहीं होती। यह रोज की कहनी है। 25 फरवरी को राजपुर के नागपुर राजबाहा के पास ईश्वर चन्द राजभर के साथ ऐसा ही हुआ। पिपरा गांव का युवक गेहूं पिसवाकर अपने गांव साइकिल से लौट रहा था। तभी तीन युवक बाइक पर आए तो मोबाइल छीन चलते बने। वह पुलिस के पास गया। उसका जवाब था, शिकायत दर्ज नहीं होगी। यह वाकया सिर्फ उदाहरण मात्र है। जब अपराधी ऐसे किसी मोबाइल के साथ कहीं पकड़े जाते हैं। तो पुलिस खरीददार को पकड़ती है। फिर उससे हिसाब-किताब करती है। इससे बचने के लिए लोग कहते हैं। दरोगा जी लूट व चोरी न सही, गुम होने का सनहा दर्ज कर लिजिए। नहीं तो आज मोबाइल गया है, कल कुछ और देना पड़ेगा।

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