हाए रे गरीबी, दरिदों का शिकार होते-होते बची किशोरी

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बक्सर खबर : सत्रह-अठारह वर्ष की गीता आज अपनों के लिए बोझ बन गई है। गरीबी के बोझ तले दबी किशोरी पर आज दया का पात्र बन गई है। क्योंकि इससे अपने ही घर में कोई पनाह देने वाला नहीं है। परिवार की माली हालत इतनी खराब है कि अपना ही भाई इसे ले जाने की स्थिति में नहीं है। हालात से मजबूर इस किशोरी की दश पर लोगों को दया नहीं आई। कुछ लोगों ने इसे हवस का शिकार बनाना चाहा। वह तो भला हो उस रेल यात्री का। जिसने इसकी सूचना गुरुवार को फोन से डुमरांव थाने को दी। गीता की स्मत लुटने से बच गई। डुमरांव पुलिस ने रेल पुलिस को सूचना दी। रेल पुलिस ने उसे तुरंत कवर किया। लड़की की दर्द भरी दास्तान सुनने के बाद उसे चाइल्ड लाइन को सौंप दिया गया। क्योंकि उसके परिवार वाले इतने गरीब हैं। जिनके पास अपनी बेटी को घर ले जाने तक के पैसे नहीं।

यात्री कल्याण समिति डुमरांव के राजीव रंजन सिंह ने बताया। यह लड़की ने अपना नाम गीता बताया। जो दिल्ली के बदरपुर में अपने भाई धर्मवीर वर्मा के साथ रहती है। जीवन से परेशान हो वह पिछले दिनों पूर्वा एक्सप्रेस से आरा पहुंच गई। वहां फिर वापस दिल्ली लौटने की सोची। श्रमजीवी में सवार हुई तो कुछ लोगों ने उसे गुरुवार को डुमरांव में डांट कर उतार दिया। यहां कुछ लफंगे जैसे युवक उसके फिराक में लग गए। किसी यात्री ने यह सब देखा तो उसने डुमरांव थाने का फोन किया। तब जाकर पुलिस मदद के लिए आई। उसने बताया पांच वर्ष की उम्र में मां चल बसी। पिता ने दूसरी शादी कर ली। सौतेली मां परेशान करती रही। कुछ वर्ष पहले पिता कृष्ण कुमार वर्मा भी चल बसे। जिंदगी से परेशान हो वह पटना के लिए निकली थी। क्योंकि वे लोग मूल रुप से पटना दुल्हन बाजार के निवासी हैं। लेकिन उसके साथ रास्ते में यह सब हुआ। उसने अपने भाई धर्मवीर वर्मा का नंबर पुलिस को बताया। रेल पुलिस ने जब उसके भाई से संपर्क किया तो वह रोने लगा। मेरे पास इतने पैसे भी नहीं कि मैं बक्सर आ सकु। ऐसी स्थिति देख पुलिस ने गीता को चाइल्ड लाइन के हवाले कर दिया है। देखे गीता कब अपने घर पहुंचती है।

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