ग्रामीण पत्रकारिता को मिलनी चाहिए पहचान : अरविंद तिवारी

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बक्सर खबर : पत्रकार जो जिला मुख्यालय में रहे। वे हमेशा से सुर्खियों में रहे। लेकिन ग्रामीण पत्रकारिता करने वालों को उचित स्थान नहीं मिला। वैसे तो यह कहने वाले मिल जाएंगे। जिनमें दम हो वे पहचान बना लेते हैं। पर सच है कि कस्बाई इलाके से जुड़े पत्रकारों को जो सम्मान जिला स्तर पर मिलना चाहिए। उसका हमेशा अभाव देखने को मिला है। अधिकारी से लेकर नेता के साथ गलबहियां खेलने वालों को तो सभी जानते हैं। जो जमीन पर काम करते हैं। उनको पहचान दिलाने का कार्य किसी ने नहीं किया। यह दर्द नहीं अनुभव है। उस पत्रकार जो जिले के राजपुर प्रखंड से प्रतिष्ठित समाचार पत्र दैनिक जागरण के संवाददाता हैं। इनका नाम अरविंद तिवारी है। पिछले सत्रह वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में कलम चलाने वाले तिवारी का नाम सभी संवाददाता जानते हैं। यह पहचान के मोहताज नहीं। लेकिन इनका अनुभव कहता है। अगर इस क्षेत्र में बने रहना है तो कुछ और भी करना होगा। अन्यथा जीवन की रेस में हमेशा अभाव झेलना होगा। अपने साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के सिलसिले में बक्सर खबर ने बात की। जो बातें छनकर सामने आई प्रस्तुत है उनका कुछ अंश।

बनानी होगी अपनी जमीन
बक्सर : पत्रकारिता के क्षेत्र में जो लोग काम करते हैं। उन्हें अपने लिए सुरक्षित जमीन तलाशनी होगी। अन्यथा कोई यह सोचे की गांव में रहकर पत्रकारिता के भरोसे भरण-पोषण हो जाएगा। तो ऐसी स्थिति में आपको ठोकर खानी होगी। मैने एक लंबा समय इस क्षेत्र में गुजारा है। बाहरी की कौन कहे। अपने क्षेत्र में भी प्रतिस्पर्धा का सामना करना होता है। लेकिन, समझदार वही है, जो तालमेल बनाकर खबरों की दुनिया में बना रहे। समय के अनुसार समझौते भी करने होते हैं। तब जाकर कस्बाई पत्रकारिता लंबे समय तक टीका जा सकता है। मैं धन्यवाद देता हूं उन पत्रकार साथियों को जो सहयोग की भावना रखते हैं।

पत्रकारिता जीवन
बक्सर : तिवारी जी बताते हैं वर्ष 2000 में सबसे पहले आज अखबार से जुड़ा। लगभग तीन वर्षों तक मैने आज के लिए काम किया। इस बीच वर्ष 2003 में दैनिक जागरण के लिए काम करने का अवसर मिला। तब से लेकर अब तक उसी के लिए कार्य करता आ रहा हूं। मैने बहुत बदलाव देखे हैं। कागज कलम से शुरु हुई पत्रकारिता अब मोबाइल युग तक पहुंच गई है। ऐसे में खबरें तो बढ़ी पर पत्रकारों के जीवन में न बदलाव हुआ न सुधार आया। हालत तब जैसी थी। आज भी वैसी है।
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : राजपुर प्रखंड के खरपुरा गांव में अरविंद तिवारी का जन्म 25 फरवरी 1963 को हुआ। आज यह गांव चौसा प्रखंड में आ गया है। यहां के निवासी श्री वशिष्ठ नारायण तिवारी के प्रथम पुत्र होने का इन्हें गौरव प्राप्त है। डेहरी हाईस्कूल से 1989 में मैट्रिक पास करने के बाद एमवी कालेज से स्नातक किया। कुछ समय तक संस्कृत विद्यालय में शिक्षक भी रहे। आगे चलकर अनौपचारिक शिक्षा से जुड़े। जिसकी लड़ाई आज भी वे लड़ रहे हैं। उनका खुद का भरापुरा जीवन है। संघर्ष भरे जीवन में तब भी पैदल यात्रा करते थे। आज भी उसी ग्यारह नंबर गाड़ी से पत्रकारिता करते हैं।

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