‌‌डोसे के सांभर ने बता दिया मीडिया को मसाला से मतलब है, जन सरोकार से नहीं

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बक्सर खबर (माउथ मीडिया) । मुझे देखते ही बतकुच्चन गुरु मुस्कुराने लगे। उनका खिला चेहरा देखकर मैं सोचने लगा। बड़े दिन बाद आज प्रसन्न दिख रहे हैं। जोश भरे अंदाज में उन्हें आवाज देते हुए कहा जय राम जी गुरु कैसे हैं। मिजाज मस्त है लगता है, कहां से आ रहे हैं। मेरी बातें सुन वे हंसने लगे। और अपने चिरपरिचित अंदाज में बोलना शुरू किया। अरे गुरु मसालडोसा खाने गए थे। तीन-तीन जगह खाए लेकिन, सब दुकानदार चालाक हो गया है। चटनी आ सांभर बगैर मांगे दे रहे थे। हम सोचे थे मीडिया में खबर आया है सांभर नहीं देने पर 3500 रुपया मिल रहा है। सारे झूठे तीन-चार सौ खर्चा हो गया। खबर के बारे में पूछे तो उल्टे सब बूरा-भला कहने लगा। पत्रकारों सब के गलिया रहा था।

हम से एक मिला पूछने लगा। बताइए उपभोक्ता फोरम में पांच साल से न जाने केतना मामला लंबित है। लेकिन, ओकर खबर नहीं छापता है। सांभर 3500 की, इ खबर के रंग बदल-बदल के छाप रहा है सब। ए से पता चल जाता है कि मीडिया वालन के जन सरोकार से ज्यादा मशाला वाली खबर पसंद है। इतना कह कर वे मेरी तरफ खुंखार नजर से देखने लगे। मैं तो अंदर से हिल गया। क्या बात है, आज बतकुच्चन गुरु पत्रकारों पर पड़े हैं। फिर मैंने साहस करके उनसे पूछा आखिर आप इतने नाराज क्यूं हैं? मेरी बात सून वे और भड़क गए। तू लोग मीडिया के इज्जत बेच रहे हो। लेकिन, इज्जत बनावे के मामला में तू लोग एक फिसड्डी हो। यह कह वे तुनक कर निकल लिए। मैं अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा था। क्या पत्रकार बेवजह की खबरों को बढ़ाकर और समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं। नोट – माउथ मीडिया बक्सर खबर का व्यंग कालम है। यह प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है। आप अपने सुझाव हमें कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं।

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