मुरली की धुन पर बोल उठी कलम : बन गए उस्ताद

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बक्सर खबर : उस्ताद शब्द गुरु के लिए इस्तेमाल होता है। यह शब्द कालांतर में भारत रत्न उत्साद बिस्मिल्लाह खां का पर्यायवाची बन गया। डुमरांव की जमीन पर जन्में उस्ताद की परछाई कोई छू नहीं पाया। लेकिन, उनकी स्मृतियों को सहेज आज एक शख्स देश में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहा है। हम बात कर रहें हैं डुमरांव के पत्रकार, कथाकार, साहित्यकार, न्यूज एंकर व चित्रकार मुरली मनोहर श्रीवास्तव की। कभी सोनभद्र व प्रभात खबर से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले मुरली की धुन इन दिनों बीटीवी पर बज रही है। अपने साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के लिए हमने उनसे संपर्क किया। वे मानते हैं सफर ए बिस्मिल्लाह खां ने उन्हें पूरे देश में अलग पहचान दिलाई। कुछ मित्र तो हंसी ठिठोली में यह बोल भी बोलते हैं क्या उस्ताद, कैसे हो। बातों ही बातों में वे अपनी रचना गुनगुनाते हैं- वक्त की आंधी इश्क की लौ को बुझा नहीं सकती। रात भर जागने से मुहब्बत लौट के आ नहीं सकती। अर्थात गजल व गीत लिखने का शौक भी उन्होंने पाल रखा है। पेश है उनसे हुई बातचीत के अंश : –
विरोध से न हो परेशान, कमाई के लिए नहीं है पत्रकारिता
बक्सर खबर : मुरली मनोहर श्रीवास्तव का पूरा जीवन डुमरांव की सड़कों पर गुजरा है। पत्रकारिता का शौक उन्हें जब लगा। उस दौर के मठाधीश उनका विरोध करते रहे। लेकिन मुरली ने हार नहीं मानी। बहुमुखी प्रतिभा के धनी युवक ने 2009 में सफर ए बिस्मिल्लाह खां लिखी। प्रभात प्रकाशन ने उसे प्रकाशित किया। अब क्या था, डुमरांव के मुरली को पूरे देश में पहचान मिली। वर्ष 2013 में पटना के पुस्तक मेले में इसे बेस्ट सेलर का एवार्ड मिला। उनकी एक और पुस्तक प्रकाशित होने वाली है। वीर कुंवर सिंह की प्रेम कथा। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं। जीस वीर के बहादुरी के चर्चे विश्व विख्यात हैं। उनकी प्रेम कथा कितनी चर्चित होगी। मुरली बताते हैं इसके अलावा भोजपुरी में कुरान, अधूरी रह गई यशोदा पर काम चल रहा है। मेरा सपना है, डुमरांव में उस्ताद के नाम पर विश्वविद्यालय की नींव रखी जाए। मैं इसके लिए लगातार काम कर रहा हूं।

मुरली की पुस्तक का विमोचन करते मुख्य मंत्री नीतीश कुमार व प्रकाश झा

पत्रकारिता जीवन
बक्सर : मुरली बताते हैं। 1990 में प्रभात खबर डुमरांव के लिए लिखना प्रारंभ किया। उससे पहले सोनभद्र एक्सप्रेस के लिए भी लिखा। कुछ समय तक हिन्दुस्तान से जुड़ा। इस बीच कई उतार चढ़ाव आए। प्रिंट मीडिया से नाता टूट गया। ध्यान लेखन की तरफ गया। वह कार्य चलता रहा। इसी बीच 2007 में महुआ टीवी से जुड़ा। 2008 में कोसी कवरेज के लिए सम्मान भी मिला। इसी दौरान प्रकाश जी के संपर्क में आया। उनके चैनल मौर्य टीवी के लिए काम प्रारंभ किया। इनपुट व आउटपूट दोनों जिम्मेवारी संभाली। कोसी का कहर पर स्क्रिप्ट तैयार की। जिसके लिए 2009 में प्रकाश जी को नेशनल एवार्ड मिला। इस बीच फोकस टीवी दिल्ली, आर्यन, साधना के लिए भी कार्य किया। फिलहाल बी टीवी के इनपूट हेड के रुप में कार्य कर रहा हूं।
क्या है आगे की योजना
बक्सर : मुरली के हौसले बहुत बड़े हैं। उन्होंने कई लक्ष्य रखे हैं। बिहार सरकार ने हाल ही में सोमा घोष व उनके द्वारा उस्ताद पर निर्मित टेली फिल्म को जारी किया है। इस कड़ी में आरा के गणितज्ञ डा. वशिष्ठ नारायण, पटना के डा. अरुण तिवारी के जीवन पर टेली फिल्म बनाने जा रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने भोजपुरी लोकगीत व पारंपरिक गीतों का संग्रह एकत्र किया है। जिसमें सोहर, झूमर, चैता, गवई गीतों की लगभग पन्द्रह सौ रचनाएं हैं। इसका प्रकाशन भी जल्द होगा।
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : मुरली का जन्म 28. 10. 74 को डुमरांव में हुआ। चार भाइयों में उनका स्थान दूसरा है। राज हाई स्कूल, डीके कालेज से शिक्षा ग्रहण कर वाले इन महोदय ने चेन्नई के विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का डिप्लोमा किया है। फिलहाल भ्रष्टाचार विषय पर पीएचइडी की तैयारी चल रही है। इनके दौ शौक हैं, खुले मंच से मीठा बोलना व पेंटिंग करना। 1996 में उन्हें मिथिला पेंटिंग के लिए बेस्ट एवार्ड भी मिल चुका है।

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