नामजदों की हैसियत पर तय होती है पुलिस की कार्रवाई !

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बक्सर खबरः थानों में दर्ज मामलों पर गौर करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि पुलिस की कार्रवाई नामजदों की हैसियत के आधार पर हो रही है। क्योंकि आम लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने पर पुलिस सीधे हवालात की हवा खिला देती है। लेकिन एक-दो नही ऐसे सैकड़ों मामले है, जिनमें अभी तक एफआईआर से बात आगे नहीं बढी है। इन मामलों को लेकर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खडे होने लगे हैं।

गुमराह करने में पुलिस खामोश
गरीबों को जमीन देने के नाम पर लोगों को गुमराह करने के मामले में पिछले 22 जुलाई को नवानगर के सीओ मो.अली अहमद ने बासुदेवा ओपी में भूस्वामी रणजीत सिंह राणा सहित तीस अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। आश्चर्य इस बात का है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद भी गरीब महिलाओं के बासुदेवा पहुंचने और जमीन देने के नाम पर रजिस्ट्रेशन का सिलसिला चलता रहा। पिछले एक माह से डुमरांव सहित नवानगर भीड के कारण जाम से जूझता रहा। लेकिन इस मामले में पुलिस अब भी मूकदर्शक बनी हुई है। लोगों का कहना है कि जमीन देने के नाम पर गुमराह करने का सिलसिला चल रहा है। लेकिन नामजद की हैसियत बडा होने के कारण पुलिस कार्रवाई से पीछे हट गयी है। बासुदेवा ओपी प्रभारी अशोक कुमार ने बताया कि पुलिस अनुसंधान कर रही है।
फर्जीवाड़े के आरोपियों को खुली छूट
डुमरांव प्रखंड के छतनवार पंचायत में पिछले वर्ष पेंशन का लाभ दिलाने के नाम पर ढाई सौ से अधिक गरीबों को ठगी का शिकार बनाया गया। पंचायत के विकास मित्र प्रियंका कुमारी और उनके शिक्षक पति संजय राम ने फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। जांच में यह बात सामने आयी कि एसडीओ के फर्जी हस्ताक्षर और गलत लेखा संख्या पर पेंशन का भुगतान कर दिया गया। प्रखंड स्तर से जांच के बाद प्रखंड कल्याण पदाधिकारी संतोष कुमार ने कृष्णाब्रह्म थाना में विकास मित्र और शिक्षक पति के खिलाफ 12 अप्रैल 2017 को एफआईआर दर्ज कराया था। उसके बाद से यह फाइलों में दबा हुआ है। यहां तक कि एफआईआर दर्ज होने के बाद भी विकास मित्र और शिक्षक पर विभागीय कार्रवाई तक नहीं हुई है। कार्रवाई नहीं होने से आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। उम्र के ढलान पर खडे वृद्धो के पेंशन पाने की उम्मीदे टूटने लगी है। डीएसपी के.पी. सिंह ने कहा कि इस मामले का पर्यवेक्षण चल रहा है।

ऐसे सैकड़ों मामले जिले विभिन्न थाने दर्ज है जो नामजदों के हैसियत पर जुर्म का निर्धारण होता है। इसके लिए पुलिस से लेकर राजनीतिक पहुंच रखने वाले दोषी है। जो केश को लम्बी समय तक जांच के नाम पर पेडिग रखते है। फिर उसका काम तमाम कर देते है।

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