बिक गए पार्षद, जिला परिषद का अविश्वास रद्द

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बक्सर खबर। जिला परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव बुधवार को रद्द हो गया। स्वयं के समर्थकों से अविश्वास प्रस्ताव पेश करा अध्यक्ष ने जो चाल चली वह सफल रही। नौ पार्षदों को बंधक बनाया ऐसा गायब किया कि मत विभाजन की नौबत नहीं आई। आज 1 अगस्त को अविश्वास प्रस्ताव पर मत विभाजन होना था। लेकिन न सत्ता पक्ष उपस्थित हुआ न ही विपक्ष। क्योंकि दोनों की संख्या दस-दस थी। सत्ता पक्ष के लोग भी सदन में आने का साहस नहीं जुटा पाए।

वहीं विपक्ष भी अविश्वास पारित करने की स्थिति में नहीं था। क्योंकि बीस सदस्यों की जिला परिषद में 11 की संख्या बहुमत की है। समाहरणालय में सारी तैयारी पूरी थी। जिलाधिकारी राघवेन्द्र सिंह भी तैयार बैठे थे। लेकिन कोई पार्षद नहीं पहुंचा। पक्ष विपक्ष की बात कौन करे एक भी पार्षद सदन में नहीं पहुंचा। नतीजा चर्चा के बगैर ही अविश्वास रद्द हो गया। ऐसा लगा लोकतंत्र की हत्या हो गई। बैठक में क्या निर्णय हुआ। यह पूछने पर जिलाधिकारी राघवेन्द्र सिंह ने कहा कोई सदस्य सदन में उपस्थित ही नहीं हुआ। इस वजह से जिप अध्यक्ष सबिता देवी और उपाध्यक्ष लालसा देवी की कुर्सी बची रह गई।

क्या बिक गए थे पार्षद
बक्सर खबर। आज बुधवार के अविश्वास प्रस्ताव में कोई भी जिला पार्षद शामिल नहीं हुआ। ऐसा क्यूं, कहीं पार्षद बिक तो नहीं गए। कहीं उनका अपहरण तो नहीं कर लिया गया। यह जानने के लिए जब तस्दीक हुई तो सूत्रों ने बताया सारे के सारे बिकाऊं हैं। तभी तो एक भी प्रतिनिधि बैठक में शामिल नहीं हुआ। अगर कोई विरोध नहीं था तो अविश्वास लाने का औचित्य का था। या फिर यह राजनीतिक चाल थी। अपनी कुर्सी बचाने की। जिसके लिए सिस्टम का गलत इस्तेमाल किया गया। पूरे दिन जिला प्रशासन इस बैठक को लेकर परेशान रहा। अनुमंडल से लेकर जिला पुलिस के लोग कई महत्वपूर्ण काम छोड़ इसके पीछे लगे रहे। विधि व्यवस्था के लिए पुलिस फोर्स भी तैनात थी। लेकिन, सारा तामझाम दीन चढऩे के साथ समाप्त हो गया। प्रशासन को पता चला यह एक राजनीतिक बाजी थी। जिसके कारण लोग परेशान रहे। ऐसे हैं जिला परिषद के प्रतिनिधि।

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