पहले बेचता था ट्रक अब तो आमदनी बंद है

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बक्सर खबर (माउथ मीडिया): आबो हवा दूषित हो गई है। एक तरफ कोरोना दूसरी तरफ खौफ। सभी परेशान हैं। ऐसे में बतकुच्चन गुरू का क्या हाल है। यह जानने की इच्छा हुई। उनके पास पहुंचा तो देखा बैठक कर कुछ मन ही मन बुदबुदा रहे थे। अकेले बैठे थे, मुंह पर मास्क भी लगाया था। सो क्या कह रहे थे, समझ में नहीं आ रहा था। मैंने अपनी उपस्थिति का एहसास कराने के उंची आवाज में कहा कैसे हो गुरू। उन्होंने सर उठाया मुझे देखते ही दो कदम पीछे हो लिए। और फिर बोल पड़े, का हाल हौ गुरू, यहां चले आए। तोहके कवनो मिला रोका नहीं का।

आजकल डंडा ले के घूम रहा है सब। आमदनी बंद है ए बदे बउराया हुआ है सब। बच के चलियो ना त हौंक देगा। फिर समाचार पूछेगा, कौन हो, कहां से आ रहे हो। पहिलवा सब टोकन काट के कमा लेता था। बगैर टोकन वाला ट्रक आगवा तो पचास-साठ हजार में सौदा होता था। चार-पांच मिल गवा तो पूरा चौकी के महीना का खर्चा पानी निकल जाता रहा। लेकिन, इ लॉकडाउन सब चौपट कर दिया है। उ सब के उद्योग धंधा सब चौपट गवा है।

तनखाहे के रुपया से राशन खरीदे पड़ रहा है। ससुरा उ भी महंगा हो गवा है। एही बदे सब जेकरे के देखता है ओकरे पर गुस्सा निकालता है। का समझे, यहां से जब वापस जाओ तो संभल के जइओ। न तो सब तोहरे पर खीस उतार देगा। मैं उनकी बाते सुन हंसने लगा। क्या-क्या सोचते रहते हैं। कौन मिला पचास-हजार में ट्रक बेचता है। लेकिन, उनके कथन का क्या अभिप्राय है, मैंने उनसे पलटकर नहीं पूछा। राम-सलाम किया और अपने दर को लौट आया।
नोट-माउथ मीडिया बक्सर खबर का व्यंग कालम है। जो शुक्रवार को प्रकाशित होता है। आप अपने सुझाव हमें कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं।

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