आखिर क्यूं किताबें लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे अधिकारी !

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-जिलाधिकारी ने गुलजार की कविता सुना सबको किया पुस्तक दान के लिए प्रेरित
बक्सर खबर। 2021 का गणतंत्र दिवस खास रहा। पहली बार अधिकारियों के हाथ में किताबें दिखी। वह भी समाहरणालय में। पता चला जिलाधिकारी ने पुस्तक दान का अभियान छेड़ रखा है। किसी ने एक, किसी ने दो या फिर तीन किताबें यहां दान की। अभियान विश्वामित्र के तहत जिले के सभी प्रखंड़ों में पुस्तकालय खोलने की योजना प्रशासन बना रहा है। पहले दिन के प्रयास में लगभग डेढ़ सौ पुस्तकें पहुंची। अपने संबोधन में डीएम ने गुलजार की गजल सुनायी।

किताबें झांकती हैं बंद अलमारी के शीशों से
बड़ी हसरत से तकती है
महीनों अब मुलाकातें नहीं होती
जो शामें उनकी सोहबत में कटा करती थी
अब अक्सर गुजर जाती हैं कम्प्यूटर के परदे पर
बड़ी बैचेन रहती हैं किताबें
उन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है …

पुस्तक लेकर पहुंचे विभागीय अधिकारी

इसका जिक्र करते हुए उन्होंने कहा। वैसे छात्र तो प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। उन्हें इससे सहायता मिलेगी। संबोधन के क्रम में पूर्णिया का जिक्र करते हुए कहा। वहां मैं डीडीसी था। तब वहां के जिलाधिकारी ने यह प्रयास किया था। ऐसी पहल यहां भी हो सकती है। हम प्रयास करेंगे। आने वाले समय में वैसे लोगों को इस अभियान से जोड़ सकें। जिनका वास्ता पुस्तकों से है। आपको बताते चलें, उन्होंने पिछले दिनों एमपी हाई स्कूल में छात्रों के लिए अभियान विश्वामित्र के तहत ही स्मार्ट क्लास की व्यवस्था शुरू करायी है। उसे आनलाइन करने की तैयारी भी है। अब उसी अभियान को आगे बढ़ाते हुए पुस्तक दान का सिलसिला शुरू हुआ है। अगली पीढ़ी के छात्रों को लेकर डीएम की इस पहल का स्वागत हम भी करते हैं। साथ ही पाठकों से आग्रह करते हैं। आप चाहें तो पुस्तक दान कर अभियान का हिस्सा बन सकते हैं।

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