किसी बाहरी से नहीं, देश के भीतर मौजूद है खतरा: गुप्तेश्वर पांडेय

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दिवंगत पत्रकार विवेक सिन्हा की स्मृति-सभा में वक्ताओं ने रखे जनमत और मीडिया पर विचार
बक्सर खबर। विवेक कुमार सिन्हा स्मृति संस्थान द्वारा आज रविवार को उनकी याद में स्मृति सभा का आयोजन किया गया। शुभारंभ बीएमपी के डीजी गुप्तेश्वर पांडेय, कुमार नयन और डॉक्टर दीपक राय ने संयुक्त रूप से किया। विचार सत्र के दौरान मीडिया और जनमत विषय पर अपने विचार रखते हुए श्री पांडेय ने कहा कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हैं। असफलताओं के लिए मीडिया को देना उचित नहीं है। खतरा देश के बाहर से नहीं, बल्कि भीतरी लोगों से है।

दीपक राय ने कहा जनमत को प्रभावी बनाने में मीडिया को भूमिका तलाशने की जरूरत है न कि किसी विचार को अक्रामक ढंग से जनता पर थोपने की। कुमार नयन ने कहा जनमत के निर्माण में मीडिया की भूमिका रचनात्मक है। डॉ अखिलेश राय ने कहा कि जनमत मीडिया से व्यापक है। गजेंद्र शर्मा ने कहा कि आज का कारपोरेट मीडिया अपने हितों के पक्ष में जनमत तैयार करता है। पंकज भारद्वाज ने कहा कि सत्ता लोगों को जिस प्रकार बांट रही है उसी प्रकार मीडिया अपना दर्शक वर्ग बना रही है। रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने अपना आलेख प्रस्तुत किया। वहीं स्मृति सत्र में लोगों ने विवेक से जुड़ी स्मृतियां साझा की। अविनाश उपाध्याय ने कहा कि विवेक एक सजग और सचेत पत्रकार थे। नीरज सिन्हा ने कहा कि विवेक की जगह आज भी खाली है। अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि निष्पक्षता और मानवीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता ही विवेक की पहचान है। डॉक्टर भूपेंद्र नाथ, डॉ रमेश कुमार समेत कई लोगों ने विवेक को याद किया। इस मौके पर संस्थान की तरफ से 1 अप्रैल को आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने वाले मोहम्मद रमजान शेख, अक्षय कुमार, राहुल कुमार, स्वतंत्र प्रकाश, अजीत कुमार, कमलेश पांडेय, नंदकिशोर गुप्ता, राहुल तिवारी, प्रियांशु कुमारी और सुगंधा सिंह को बेहतर प्रदर्शन के लिए अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। कविता सत्र में प्रथम स्थान गोरखपुर के आनंद त्रिपाठी, द्वितीय संयुक्त रुप से लक्ष्मी और लक्ष्मी गौतम और तीसरा स्थान शशि भूषण (डुमरांव) के नाम रहा। संचालन विमल कुमार सिंह ने और धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता विनय कुमार सिन्हा ने किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में संस्थान की दीपशिखा, धीरज ठाकुर, राहुल, धर्मेंद्र ,अनु, पूजा, अभिषेक, विवेक, आशुतोष, सत्येंद,्र विवेकानंद, स्वाति, ममता, अर्चना और दिव्यांशु की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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