फेसबुक न होता तो कहां जाते ज्ञानी और समाजसेवी

0
393

बक्सर खबर। माउथ मीडिया
पिछले एक सप्ताह से मेरा स्वास्थ्य ठिक नहीं था। कुछ ऐसा हुआ कि बड़े ठाट से दवा-पानी के साथ यह सप्ताह गुजरा। इस वजह से बतकुच्चन गुरु से भी समय रहते मुलाकात नहीं हो पाई। गुरुवार की शाम थोड़ी फुर्सत मिली तो बतकुच्चन गुरु से बात हुई। मैंने कहा आपसे बात नहीं होती तो कुछ अधूरा सा लगता है। मेरे इतना कहते ही वे शुरू हो गए। बोले अरे आज के जमाने में हर परेशानी का समाधान उपलब्ध है। एक से एक ज्ञानी व समाजसेवी फेसबुक पर उपलब्ध हैं। कवनो मित्र दोस्त का जरुरत भी नहीं है। झूठे परेशान हो रहे हैं, दवा दारु का जरुरत था तो बस एगो पोस्ट डाल देते। कवनों पहुंच जाता। फोन करे अथवा बोलावे पर त कोई नहीं आवेगा। आखिर ओकरा लगे का प्रमाण है। आपका मदद किया है।

कइसे बताएगा, केकरा-केकरा के खबर करेगा। मैंने हिम्मत की और कहा ऐसा नहीं है। सभी लोग दिखाने के लिए नहीं करते। पहले लोग कहा करते थे। ने की कर दरिया में डाल…। मेरी उस बात को उन्होंने पकड़ लिया। बोले… रहने दो गुरु दरिया का बात तो करा नहीं। नेकी डाल-डाल के लोग गंगा जी को कचरा कर दिए हैं। आप का चाहते हैं पानी के जगह ओमन नेकी बहे। हम तो अपने शहर के लोगन से बड़े खुश हैं। यहां बहुत सेवा हो रहा है। अब तो जे परेशान है उ फेसबुक पर लिख दे। घरे बइठे आटा, दाल, रिफाइन सब हाजिर हौ। हम तो जोकर-बोकर के धनबाद देवे हैं। अगर आज फेसबुक नहीं रहता तो समाजसेवी अउर ज्ञानी लोग के नश्ल समाप्त हो जाता। बतकुच्चन गुरु की बात सुन हम अपनी हंसी नहीं रोक पाए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here