एक ऐसा गांव जहां कभी नहीं जाती पुलिस

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– आजादी के बाद नहीं दर्ज हुआ एक भी मुकदमा
बक्सर खबर। (साप्ताहिक कालम यह भी जाने) :- अपने जिले में एक ऐसा गांव हैं। जहां के लोगों ने आजादी के बाद थाने का चक्कर नहीं लगाया। अर्थात पिछले 73 वर्ष में लोगों ने आपसी प्रेम व सौहार्द को बनाए रखा है। इस गांव का नाम भारतीय इतिहास के पन्नों में दर्ज है। लेकिन, सच ही कहा है किसी ने जिसने जंग लड़ी  हो। वह खंजर से नहीं डरता। गांव का नाम है कथकौली। सदर प्रखंड का यह गांव जिला मुख्यालय से लगभग छह किलोमीटर दूर है। लेकिन, वहां तक जाने के लिए मुक्कमल सड़क नहीं। यहां के लोग उसी रास्ते से होकर आते – जाते हैं। जहां 1764 की लड़ाई के अवशेष हैं।

कथकौली का वह मैदान, जहां अंग्रेजों ने अपनी जीत का प्रतीक, विजय स्तंभ बनाया था। समय के साथ उसे कुछ लोगों ने तोड़ दिया। लेकिन, ऐतिहासिक स्थल के रुप में वह स्थान अभी भी मौजूद है। गांव के लोग वहीं से होकर आते-जाते हैं। लेकिन, वे किसी से विवाद नहीं करते। इस गांव की बरबस याद इस लिए आई है। क्योंकि पिछले सप्ताह राज्य के पुलिस महानिदेशक पश्चिम चंपारण के कटराव गांव गए थे। गहौना प्रखंड का एक यह गांव उनके जाने के बाद चर्चा में आया। ऐसी खबरें आई कि इस गांव का कोई व्यक्ति आजादी के बाद थाने नहीं गया। इसी लिए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय उस गांव गए, लोगों से मिले। उनसे बातें की और पूरे बिहार में उस गांव की चर्चा करने की बात कही। लेकिन, बक्सर का यह गांव उससे कहीं कम नहीं।

तोड़ा गया वह स्मारक, जो अंग्रेजों की जीत का प्रतिक था। अब इसकी जगह दूसरा स्तंभ बना दिया गया है

मजे की बात तो यह है। डीजीपी यहीं के रहने वाले हैं। लेकिन, उनके संज्ञान में यह बात नहीं। न ही यहां के पुलिस व जिला प्रशासन का ध्यान ही इस तरफ गया है। इस वजह से कथकौली कल भी उपेक्षित था और आज भी है। इसकी तस्दीक के लिए जब एसपी उपेन्द्र वर्मा से इस बारे में बात की गई। उन्होंने कहा पता करते हैं। एक सप्ताह तक इस रिपोर्ट का इंतजार किया गया। सच सामने आया, यहां के लोग न्यायालय और थाने का चक्कर नहीं लगाते। कभी कोई ऐसा विवाद नहीं हुआ। जिसकी वजह से पुलिस को वहां जाना पड़े। छह माह पहले दो पक्षों में विवाद हुआ था। एक पक्ष शिकायत लेकर थाना भी पहुंचा था। लेकिन, गांव के बड़े-बुजुर्गो ने मिलकर उसे आपसी समझौते से सलटा लिया।

कथकौली गांव में बनी मजार, जहां मुगल सैनिकों को दफनाया गया था, ऐसा लोग कहते हैं

लोग बताते हैं। इस गांव में एक मजार भी है। जहां अंग्रेजों के साथ हुए युद्ध में शहीद मुगल सेना के सिपाहियों को दफन किया गया था। कुछ लोग यह भी बताते हैं। भारतीय फौज का नेतृत्व कर रहे मुगल सेनाओं के संयुक्त सेनापति की मजार है। (हमारे साप्ताहिक कालम यह भी जाने की यह कड़ी है। जो मंगलवार को प्रकाशित होती है। हम प्रयास करते हैं। इस कड़ी में आपको रोचक तथ्यों से अवगत कराएं। इस वजह से प्रत्येक सप्ताह इस कालम को प्रस्तुत करने में थोड़ी परेशानी आती है। हम इसका वीडियो भी आपके समक्ष लेकर आएंगे। )

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