जीवात्मा व परमात्मा का मिलन है रास लीला

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बक्सर खबर : भागवत कथा वह है जिसको सुनने से काम का नाश हो जाता है। भगवान की रासलीला को लेकर लोग तरह-तरह के प्रश्न करते हैं। उनकी यह लीला काम पर विजय के लिए थी। जिस तरह अग्नि सबकुछ जलाकर राख कर देती है। उसी तरह भगवान स्वयं योगेश्वर हैं। यह बातें राष्ट्रीय भागवत कथा वाचक श्रीकृष्ण चन्द्र शास्त्री (ठाकुर जी) ने शुक्रवार की कथा में कही। रास शब्द की अध्यात्मिक व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा, जब जीवात्मा का मिलन परमात्मा से हो जाए, उसे ही रास कहते हैं। जो लोग आत्म ज्ञानी होते हैं। उनका ध्यान केन्द्रित होता है। भटकाव की तरफ वे नहीं जाते। आम तौर पर किसी का चेहरा देखने मात्र से पता चल जाता है। वह कितने पानी में है। भागवत की महिमा का बखान करते हुए कहा -जिसके सुनने से काम का नाश हो जाए, वही भागवत है। भागवत में कहीं भी राधा जी का पूर्ण नाम नहीं लिया जाता। ऐसा माना जाता है, उनका नाम लेने मात्र से ज्ञानी पुरुषों छह माह की साधना लग जाती है।

नजारा देखने पहुंचा संत समाज
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