‌‌‌ मध्याह्न भोजन में मिला मेंढक कहीं साजिश तो नहीं !

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-विभाग ने मांगा संबंधित एजेंसी से जवाब
बक्सर खबर। शहरी क्षेत्र के सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन की आपूर्ति केन्द्रीय किचन द्वारा की जाती है। यह काम पिछले कई माह से चल रहा है। लेकिन, 7 अक्टूबर को दो पाली में चलने वाले आचार्य नरेन्द्र देव मध्य विद्यालय में उस समय हंगामा खड़ा हो जब विद्यालय से जुड़े लोगों ने मीडिया के साथ फोटो शेयर किया। जिसमें मध्याह्न भोजन की थाली में मेंढक दिख रहा था। मीडिया में यह खबर चटख शीर्षक के साथ प्रकाशित हुई। लेकिन, यह सिलसिला थमा नहीं। उसी विद्यालय से तरह-तरह की खबरें छनकर आने लगी। चोखा खराब, चार दिन से बच्चे भूखे। इसको लेकर मीडिया में खुब हाय तौबा मची है।

वहीं दूसरी तरफ विद्यालय की शिकायत पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उज्जवल सवेरा समिति नाम की संस्था से जवाब तलब किया गया। उसने जो जवाब दिया जिसमें कहा गया कि हमारे यहां भोजन बनने का जो तरीका है। वहां तक मेंढक का जाना संभव नहीं है। साथ ही हमारे यहां भाप से खाना बनता है। अगर मेंढक उस टब में डाल भी दिया जाए तो 72 डिग्री तापमान पर वह गल भून जाएगा, पूरा बचेगा नहीं। जबकि जो तस्वीर सामने आई थी उसमें खड़ा मेंढक दिख रहा था। गलना, उबलना तो दूर उसके त्वचा का रंग भी दिख रहा था। जबकि हमारे यहां से विद्यालयों को भेजा जाने वाला खाना बंद डब्बे में जाता है। विद्यालय को भोजन देते समय हम अध्यापकों व रसोइयों को भोजन चलाकर दिखाते भी हैं। ऐसे में इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं।

भाप के कंडाल में बनता भोजन

इन बातों का उल्लेख उस पत्र में है। जो विभाग को जवाब भेजा गया है। उस दिन के बाद विद्यालय में भोजन की आपूर्ति क्यों नहीं हो रही? यह सवाल पूछने पर संबंधित संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर अक्षय कुमार तिवारी ने बताया कि खाना तो वहां भेजा जा रहा है। एक दिन लिया भी गया। लेकिन मौजूद शिक्षक ने कहा कि प्रधानाध्यापक ने भोजन लेने से मना किया है। इस बाबत प्रधानाध्यापक गौरव सिंह का कहना है शिक्षा समिति के सदस्यों ने भोजन लेने से मना कर दिया है। संस्था के सदस्यों का कहना है लगभग डेढ़ सौ विद्यालयों में मध्याह्न भोजन की आपूर्ति होती है। लेकिन, एक ही जगह से ऐसी शिकायत का बार-बार आना परेशानी का कारण बन गया है। हमने अपना जवाब दे दिया है।

कुछ यह हाल है विद्यालय की रसोई का

हालांकि यह सारी बातें दो दिन पहले तक की हैं। आज 12 अक्टूबर को एक और नया पत्र सामने आया है। जो 11 अक्टूबर को निदेशक पीएम पोषण योजना पटना, बिहार द्वारा जारी है। उसमें भी संबंधित एजेंसी से जवाब तलब किया गया है। वह भी चौबीस घंटे के अंदर। वहीं सूत्रों का कहना है। एजेंसी वाले जिले में धीरे-धीरे पांव फैला रहे हैं। पहले बक्सर और डुमरांव के लगभग डेढ़ सौ विद्यालयों में भोजन की आपूर्ति करते थे। हाल-फिलहाल 108 और विद्यालयों में भोजन पहुंचाने की अनुमति मिल गई है। आने वाले दिनों में ब्रह्मपुर और सिमरी में भी एजेंसी ने भोजन आपूर्ति की बात कही है। संबंधित एजेंसी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए कुछ लोगों द्वारा ऐसा किया जा रहा है।  हालांकि सच्चाई जो भी हो, विभाग के अधिकारी भी इससे अछूते नहीं है। वहीं दूसरी तरफ एक ही विद्यालय की खबर को लेकर मीडिया का पील पड़ना भी कम हैरान करने वाला नहीं है।

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