श्रीमद्भागवत श्रवण से मिलती है मुक्ति और परम शांति: आचार्य रणधीर 

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बक्सर खबर। जिले के राजपुर प्रखंड स्थित सगराव में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा रहा। कथा व्यास आचार्य रणधीर ओझा ने श्रीमद्भागवत की महिमा बताते हुए कहा कि यह कलयुग में कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है, जो अर्थ, धर्म, काम के साथ भक्ति और मुक्ति भी प्रदान करता है। उन्होंने इसे साक्षात श्रीकृष्ण का स्वरूप बताते हुए इसके श्रवण को सभी दानों, व्रतों और तीर्थों से श्रेष्ठ बताया। आचार्य श्री ने आत्मदेव ब्राह्मण और धुंधकारी की कथा सुनाते हुए शरीर को श्रेष्ठ कल्याण का मार्ग और जीवात्मा को भोला बताया। उन्होंने बुद्धि को धुंधली के समान खतरनाक बताते हुए धुंधकारी जैसे महापापी के उद्धार का उदाहरण दिया।

उन्होंने ‘भागवत’ के चार अक्षरों – भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और त्याग का महत्व समझाया। कथा में छह महत्वपूर्ण प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार, नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुंती देवी की विपत्ति की याचना और भीष्म पितामह के देह त्याग का वर्णन किया गया। परीक्षित को श्राप और सुखदेव द्वारा मुक्ति की कथा भी सुनाई गई। आचार्य श्री ने माता-पिता को कष्ट देने वालों, शराब पीने वालों और वेश्यागामी लोगों को प्रेत योनि में भटकने की बात कही। उन्होंने वर्तमान में गोकर्ण जैसे कथावाचक और धुंधकारी जैसे पश्चातापी श्रोताओं की कमी पर चिंता जताई। अंत में उन्होंने सत्संग को जीवन में उतारने की प्रेरणा दी ताकि अज्ञान रूपी धुंधकारी से मुक्ति मिल सके।

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