मिथिलेश पाठक की रैली से जिले में राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म

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-बगैर किसी राजनीतिक दल के अपना झंडा गाड़ने की कवायद
बक्सर खबर। कल तक जिले में समाजसेवी के रुप मिथिलेश पाठक अपनी झवी बनाने में जुटे थे। लेकिन, 10 जुलाई को महारैली का आयोजन कर उन्होंने एक नई बहस छेड़ दी है। अब यह तस्वीर साफ हो गई है कि वे बगैर किसी राजनीतिक दल का झंडा उठाए स्वयं का डंडा गाड़ने के फिराक में हैं। अगले ही दिन सोमवार को उन्होंने शहर में रैली का आयोजन किया है। इससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि वे खुद की राजनीतिक उपस्थि्ज्ञति दर्ज कराने का मन बना चुके हैं।

क्योंकि यह पहला मौका है, जब उनका कोई राजनीतिक कार्यक्रम हो रहा है। इससे पहले विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने और छोटे-बड़े कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति दर्ज होती रही है। इन चर्चाओं के मध्य उनसे यह जानने का प्रयास किया गया। इस रैली का क्या मकसद है। जबकि वे स्वयं किसी दल से नहीं जुड़े हैं। रविवार को बक्सर खबर ने उनसे सीधा सवाल किया। क्या आप लोकसभा चुनाव में दावेदारी पेश करेंगे?

लेकिन, उनका जवाब सीधा नहीं मिला। तर्कों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा हमारा संघर्ष बक्सर और यहां के विकास का है। हमने दूसरा सवाल किया आप किसी दल के साथ जाएंगे। क्योंकि लोकसभा चुनाव तो बगैर किसी बड़े दल के लड़ना आसान नहीं है? उनका जवाब था, यह तो आने वाला वक्त तय करेगा। लेकिन, हमने बक्सर के सम्मान के लिए एक संघर्ष शुरू किया है। यह रैली हम नहीं वैसे युवा कर रहे हैं। जिनका हमारे प्रति स्नेह है। इसके अलावा भी कुछ चर्चाएं उनसे हुई। लेकिन, फिलहाल कल की रैली देखने के बाद आगे की चर्चा होगी।

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