‌‌‌इनसे मिलिए : दूसरों की मदद कर लोकप्रिय हो गए रमेश सिंह

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बक्सर खबर। रमेश सिंह डुमरांव के रहने वाले हैं। आपको अक्सर सामाजिक कार्यक्रमों में बुलाया जाता है। वजह आप जरुरत पड़ने पर हर संस्था का सहयोग करते हैं। हांलाकि वे अपने काम-काज में काफी व्यस्त रहते हैं। लेकिन, सामाजिक कार्य में रूचि होने के कारण दूसरों के लिए भी समय निकाल लेते हैं। शायद यही वजह है। वर्तमान समय में वे रोटरी के अध्यक्ष, जिला फुटबाल संघ व कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं।

इसके अलावा क्राइम कंट्रोल संस्था से भी जुड़े हैं। यह सारे दायित्व सामाजिक कार्यों से जुड़े होने का प्रमाण हैं। वैसे वे स्वयं संत जॉन स्कूल के चेयरमैन हैं। बक्सर खबर ने अपने साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के तहत उनसे बातचीत की। प्रस्तुत है उनके मुख्य अंश:
फौज की कर चुके हैं नौकरी
बक्सर खबर। रमेश सिंह को जानने वाले लोग शायद यह नहीं जानते हों कि वे फौजी भी रह चुके हैं। हांलाकि वह नौकरी उन्हें राश नहीं आई। ट्रेनिंग पूरी होने के कुछ समय बाद ही त्यागपत्र दे वापस लौट आए। यहां आए तो परिवार और जिम्मेवारियों ने उनके सामने कई चुनौतियां पेश की। जिसके देखते हुए उन्होंने डुमरांव में संतजॉन स्कूल की स्थापना की। यह स्कूल आज वहां का ख्याति प्राप्त स्कूल है।
सिंगापुर से मिली है डाक्टरेट की उपाधी
बक्सर खबर। रमेश सिंह बताते हैं कि बचपन कलकत्ता में गुजरा। पिता जी वहां नौकरी करते थे। इस वजह से प्राथमिक शिक्षा वहीं शुरू हुई। वहां से आने के बाद मैंने यहां डुमरांव डीके कालेज से स्नात की पढ़ाई पूरी की। एमएससी करने के लिए पटना चला गया। वहां ए एन कालेज से पढ़ाई पूरी की। समय गुजरने के साथ सामाजिक ख्याती बढ़ती रही। फिर सिंगापुर के कॉमन वेल्थ विश्वविद्यालय ने डाक्टरेट की की उपाधी दी।
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर खबर। रमेश सिंह मूल रुप से ब्रह्मपुर प्रखंड के धरौली गांव के निवासी हैं। पिता ब्रदी सिंह बंगाल में नौकरी करते थे। उनके पांच पुत्रों वे तीसरे स्थान पर हैं। समय गुजरने के साथ 1991 में उनकी शादी हो गई। आज डुमरांव में वे पत्नी के साथ रहते हैं। निशा सिंह आज हर कदम पर उनका साथ निभाती हैं। विद्यालय के अलावा सामाजिक कार्यक्रमों में भी उनकी भागिदारी होती है।

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