रामरेखा घाट पर श्री मार्कंडेय पुराण कथा के छठे दिन हरिश्चंद्र के सत्य व्रत की हुई व्याख्या बक्सर खबर। रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में चल रहे श्री मार्कंडेय पुराण कथा के छठे दिन बुधवार को कथावाचक आचार्य कृष्णानंद शास्त्री उर्फ पौराणिक जी महाराज ने सत्य की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “इस सृष्टि में अगर कोई तत्व सबसे श्रेष्ठ है तो वह है सत्य। यही एक आधार है जिस पर संपूर्ण लोक टिका हुआ है।” उन्होंने कहा कि आज के समय में सत्य की शवयात्रा निकाली जा रही है। धर्माचार्य, राजनेता या सामाजिक कार्यकर्ता सभी क्षेत्रों में सत्य की जगह असत्य का बोलबाला होता जा रहा है। इसका नतीजा यह है कि समाज से सुख, शांति और प्रेम धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं।
कथावाचक ने राजा हरिश्चंद्र की कहानी सुनाते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अपने वचन को निभाने के लिए पत्नी, पुत्र और खुद को तक बेच दिया, लेकिन कभी सत्य का साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि विश्वामित्र और वशिष्ठ के बीच हुए विवाद में यह प्रमाणित हुआ कि हरिश्चंद्र मृत्यु लोक के सबसे बड़े सत्यव्रती थे। “राजा हरिश्चंद्र के जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि एक बार सत्य को पकड़ लेने मात्र से सारे सद्गुण हमारे भीतर आ जाते हैं और असत्य को पकड़ लेने से विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ता है।”

आचार्य शास्त्री ने कहा कि श्री मार्कंडेय पुराण हमें सिखाता है कि जो व्यक्ति सत्य का पालन करता है, उसका समर्थन और प्रचार करता है, वही सच्चा महापुरुष होता है। सत्य से जुड़ा व्यक्ति ही संसार को भयमुक्त और मानवता से परिपूर्ण बना सकता है। कथा के अंत में उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे जीवन में सत्य को अपनाएं और असत्य का त्याग करें। यही जीवन का सबसे बड़ा धर्म, तप और दान है।