द्रौपदी के पांच पति नहीं, इंद्र के पांच रूप थे: पौराणिक जी

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कथा में इंद्र, द्रौपदी और पांडवों के जन्म से जुड़े रहस्य का हुआ खुलासा                                                 बक्सर खबर। रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में आयोजित 17वें धर्म आयोजन के दूसरे दिन शनिवार को श्रोताओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सर्वजन कल्याण सेवा समिति सिद्धाश्रम धाम द्वारा आयोजित इस धार्मिक अनुष्ठान में कथा वाचक आचार्य कृष्णानंद शास्त्री उर्फ पौराणिक जी महाराज ने शास्त्रों के गूढ़ रहस्यों से श्रोताओं को अवगत कराया। कथा की शुरुआत करते हुए पौराणिक जी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलोक से पाताल तक यह पूरा सृष्टि क्षेत्र मृत्यु लोक ही है। यहां चाहे कोई कितना भी महान क्यों न हो, अपने कर्मों का फल उसे भोगना ही पड़ता है। कथा के दौरान उन्होंने महात्मा जैमिनि और पक्षियों के संवाद का उदाहरण देते हुए बताया कि द्रौपदी के पांच पति होना कोई सामान्य घटना नहीं थी, बल्कि इसके पीछे इंद्र के कर्म और उनके धर्म, बल, रूप व पराक्रम से जुड़ी एक दिव्य लीला थी।

उन्होंने बताया कि इंद्र ने अपने कर्मों से धर्मराज, पवनदेव और अश्विनी कुमारों के माध्यम से अपने गुणों को पांडवों के रूप में धरा पर अवतरित किया। धर्म से युधिष्ठिर, बल से भीम, पराक्रम से अर्जुन और रूप-विद्या से नकुल-सहदेव बने। पौराणिक जी महाराज ने स्पष्ट किया कि द्रौपदी का विवाह किसी पांच व्यक्तियों से नहीं बल्कि इंद्र के पांच गुणों से हुआ था। यह रहस्य पक्षियों ने महात्मा जैमिनि को बताया था। उन्होंने कहा कि द्रौपदी स्वयं इंद्र की पत्नी सचि का ही रूप थीं, जो अपने पति के ऊपर लगे कलंक को मिटाने हेतु अग्निकुंड से प्रकट हुईं और महाभारत का कारण बनीं।

रामेश्वर नाथ मंदिर में कथा सुनती महिलाएं।

कथा में इंद्र द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों जैसे त्रिशिरा और वृत्रा वध, अहिल्या के साथ दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया। उन्होंने कहा कि ये कर्म भले ही दिखने में पाप जैसे लगे हों, किंतु इन सभी के पीछे त्रिलोक के हित और सनातन धर्म की रक्षा निहित थी। अंत में पौराणिक जी महाराज ने कहा कि द्रौपदी का पांच पतियों से विवाह प्रतीकात्मक है। वास्तव में यह विवाह एक ही शक्ति इंद्र के विभिन्न रूपों से हुआ था, और यह एक अत्यंत गूढ़ आध्यात्मिक सत्य है जिसे सामान्य दृष्टि से नहीं समझा जा सकता। यह आयोजन 17 दिनों तक चलेगा और प्रतिदिन राम कथा, सांस्कृतिक कार्यक्रम व आध्यात्मिक संवाद होंगे।

 

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