वाकई! ट्रांसफर पोस्टिंग में नामदार-दामदार का घालमेल

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बक्सर खबर । माउथ मीडिया।
चार दिन पहले सरकार बड़े पैमाने पर अफसरों की फेर बदल की है। इसको लेकर सरकारी अमले सहित सियासी हलके में बतकही शुरू है। हम भी इस मसले पर बतरस के लिए शहर का रुख किए। अव्वल तो हमारी नजर दबंग पांडेय को तलाश रही थी। लेकिन तय जगह पर जाने के बाद भी पांडेय जी नहीं मिले। हम निराश होकर लौटने की सोच ही रहे थे कि एक शख्स की आवाज हमारे कानों में पड़ी। नुक्कड़ पर खड़ा वह शख्स लंबी-लंबी छोड़े जा रहा था। हम उनकी ओर मुखातिब हुए। उनका परिचय जानना चाहे। वह तपाक से बोले-अमां मियां नाम में क्या रखा है। खैर। चलो मुझे बतकुच्चन ही समझ लो। भाई हमारा क्या लिए हो। जो मिल गया। हम उसी संग गलचउरन कर लेते हैं।…उनकी यह दिलचस्प बातें सुन मैं उनके और करीब पहुंचा।

अपने जेहन में आया सवाल उनकी ओर दागा-सुनने में आ रहा है ट्रांसफर-पोस्टिंग राजनीतिक कारणों से किया गया है…। वह मेरी बात काटते बोले-यह कौन सी नई बात है। यह तो सबको पता है कि राजनीति से सरकार बनती है और सरकार से राजनीति चलती है। हां! यह जरूर है कि सरकार आम मनई की न सुनती है और न उसके लिए कुछ करती है। अब रही बात यह सब हुए ट्रांसफर-पोस्टिंग की तो समझ लो भइया कि इसमें नामदार और दामदार का घालमेल है।…बतकुच्चन की बात मेरे पल्ले नहीं पड़ी। मैं उनसे थोड़ा और साफ-साफ बताने को कहा।…वह बोले-तुम नहीं समझोगे भाई। काहें कि अभी तुम्हारी उमर ही क्या है। हम बता रहे हैं न कि इसमें बड़ा लंबा खेल हुआ है। इहां का एगो मंत्री है। वह बहुत कैस किया है। कई को प्रमोशन और कई को मनचाही जगह दिलाई है। जो नहीं दिए रहे। वह गए सुरधामपुर। यहां के कलेक्टर को लो ना भाई। जनाब अगस्त में आए रहे और अप्रैल में विदा भी हो गए। मतलब एक साल भी वह यहां नहीं ठहर पाए। सवाल है कि अगर सरकार का काम साफ-साफ हुआ रहा तो उस कलेक्टर को हटाने की नौबत इतनी जल्दी क्यों आई।…बतकुच्चन के मुंह से मंत्री शब्द सुनते ही मैं उलझन में पड़ गया। आखिर बतकुच्चन किस मंत्री की बात कर रहे हैं। उनसे यह पूछने का साहस मेरा नहीं हुआ। पता नहीं वह क्या समझ लें। फिर भी हम उनसे यह जरूर पूछे कि आपसे आगे मुलाकात कहां होगी। वह बोले-देखो भाई हम ठहरे घुमक्कड़। यहीं कभी चाय-पान की दुकान पर मुलाकात हो जाएगी।…मैं उनसे विदा लेकर अपने दफ्तर के लिए चल पड़ा। रास्ते में मेरे मन में यही सवाल घुमड़ता रहा कि क्या सच में ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी गोलमाल होता है क्या। कोई मंत्री इतना दखल देता है क्या।…और तब इसके एवज में मंत्री अपनी साधता है क्या।

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