‌‌‌ग्रामीण साहित्य से गीता तक का जीवन पर्यन्त अध्ययन करते रहे डाक्टर सत्यदेव

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– डाक्टर सत्यदेव ओझा के नाम पर टापर छात्र- छात्रा को मिलेगा दस- दस हजार का पुरस्कार
बक्सर खबर। बड़का सिंहनपुरा गांव में मंगलवार को विकास परिषद के तत्वावधान में पुस्तक लोकार्पण सह डॉक्टर सत्यदेव ओझा का जन्म शताब्दी समारोह का आयोजित किया गया। कार्यक्रम के पहले सत्र में डॉक्टर सत्यदेव ओझा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद पंकज कुमार ओझा की पुस्तक ‘ बड़कासिंहनपुरा की महान विभूतियां’ पुस्तक का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर बड़का सिंहनपुरा के मुखिया वीरेंद्र पाठक ने कहा कि साधना से ही सिद्धि की प्राप्ति होती है। ब्राह्मण समाज को पढ़ने लिखने और साधना करने के लिए जाना जाता है।

हालांकि वर्तमान में यह भी देखने को मिल रहा है। यह समाज साधना से मुंह मोड़ रहा है। यह चिंता की बात है। इस समाज को अपनी अस्मिता बनाए रखने के लिए साधक बनना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि साधना के बल पर ही डॉक्टर सत्यदेव ओझा इस गांव का नाम पूरे प्रदेश में रोशन किये। वे एक शिक्षक थे और अपने परिवार के साथ भी समाज के हर वर्ग को शिक्षित करने के लिए चिंता करते थे। जरूरत है कि उनकी दिखाई राह पर हम चलने का संकल्प लें। पूर्व मुखिया डॉक्टर सरोज ओझा ने कहा कि जिस जमाने में उन्होंने अपने गांव का नाम रोशन किया, वह अभाव का जमाना था। फिर भी उन्होंने लगातार संघर्ष किया। उनके संघर्ष से हमें प्रेरणा लेने की जरूरत है।

विकास परिषद के सचिव डॉ रमाशंकर ओझा ने कहा कि वह जब भी गांव आते थे, तब यहां के साहित्य, संगीत, जीवनशैली का अध्ययन करते थे और इन बातों को अपने साहित्य में पिरोते रहते थे। सभा की अध्यक्षता कर रहे पारस ओझा (गउंआ ) ने कहा कि आज हम उनको इसीलिए याद करते हैं क्योंकि उन्होंने इस गांव का नाम देश दुनिया में रोशन किया। अपने विद्वता के बल पर उन्होंने समाज को बहुत कुछ दिया। यह सिलसिला युवा पीढ़ी को आगे बढ़ाना है। इस अवसर पर डॉक्टर सत्यदेव ओझा के सुपुत्र संतोष ओझा द्वारा लिखित संदेश प्राथमिक विद्यालय के प्राचार्य सुरेश तिवारी ने पढ़कर सुनाया। संतोष ओझा के मुताबिक डॉक्टर सत्यदेव ओझा हमेशा पठन-पाठन से जुड़े रहते थे और शिक्षा की ही बातें करते थे। अंतिम समय में वह आध्यात्मिक पुस्तकों से जुड़े और खास तौर से विनोबा भावे का गीता भाष्य का उन्होंने गहन अध्ययन किया। शिक्षा अर्जित करना और उसे समाज में बांटना ही उनके जीवन का आधार था।

उन्होंने घोषणा की कि डाक्टर सत्यदेव ओझा के नाम पर गांव पर रहकर अध्यन करने वाले मैट्रिक टापर (गांव स्तर पर ) एक छात्र एवं एक छात्रा को दस- दस हजार रुपये छात्रवृति दी जायेगी। इसके बाद एयर वेटरन पंकज कुमार ओझा द्वारा लिखित ‘बड़का सिंहनपुरा की महान विभूतियां’ पुस्तक का लोकार्पण किया गया। रमाशंकर ओझा ने कहा कि इस गांव के महान संत, मानस मर्मज्ञ, पहलवान, शिक्षाविद, संगीतज्ञ सहित अन्य ऊर्जावान चरित्रों की जीवनी को संग्रह किया गया है। हर पाठ से एक सकारात्मक संदेश निकलता है। निश्चित रूप से यह पुस्तक हमारे समाज का पथ प्रदर्शन के रूप में हमेशा याद की जाएगी। विकास परिषद के अध्यक्ष हेमचंद्र ओझा की देखरेख में आयोजित इस कार्यक्रम में पंडित घनश्याम ओझा, शिवानंद ओझा, रून्ने ओझा, आशुतोष ओझा, सुदामा ओझा, विनोद ओझा, राजू ओझा सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

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