प्रवासी भारतीयों ने जिले को भेजी सहायता

0
368

-जिला अस्पताल को मिले 40 फ्लोर मीटर
बक्सर खबर। कोविड महामारी के कारण उत्पन्न विषम परिस्थिति में हर कोई मदद का हाथ बढ़ा रहा है। गुरुवार को प्रवासी भारतीय रविशंकर चंद ने दुबई से मदद भेजी। जिला प्रशासन ने उन्हें धन्यवाद दिया है। जन संपर्क विभाग के अनुसार सदर अस्पताल के लिए कुल चालीस फ्लोर मीटर उन्होंने सिपिंग के माध्यम से भिजवाएं हैं। जिसकी अस्पताल को फिलहाल बहुत जरुरत थी। इसके अतिरिक्त ढ़ाई हजार मास्क, उच्च गुणवत्ता के सैनेटाइजर एवं रेड क्रास सोसाइटी को पांच हजार रुपये की सहायता दी है। रविशंकर ने कहा है, जरुरत के अनुसार वे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पीपी ई कीट व अन्य सामग्री भी भेजेंगे।

छह हजार कामगारों को भेजा था पिछली बार अपने देश
बक्सर खबर। रवि चंद दुबई में रहने वाले एनआरआई हैं। पिछली बार जब लॉकडाउन लगा था। तो उन्होंने 30 चार्टर उड़ाने कराकर 6000 मजदूरों को अपने देश वापस भेजा था। जिसको लेकर लोग उन्हें बजरंगी भाई जान के नाम से संबोधित करने लगे थे। उन्होंने पिछली बार ही एक ग्रुप बनाया था। जिसमें जिले के कई लोग शामिल हैं। उन सभी ने मदद की। उनके नाम हैं डाक्टर रुद्र दुबे, ग्राम सतोपट्टी सिमरी वे न्यू जर्सी, अमेरिका में रहते है और एक चिकित्सा वैज्ञानिक है। उनके माता-पिता अब रांची में रह रहे हैं। इस ग्रुप के दूसरे सदस्य हैं डॉ चंद्र भूषण चौबे, ग्राम अहिरौली से वे मेक्सिको विश्वविद्यालय में निदेशक हैं।

-पार्सर द्वारा आए सामान का अवलोकन करते एसडीओ व सिविल सर्जन

उन्होंने जेएनयू से पढ़ाई की है। बिक्रमगंज से डॉ युक्तेश्वर कुमार वे बाथ, इंग्लैंड में डिप्टी मेयर और यूके में डीआई मेयर बनने वाले पहले भारतीय और गैर-श्वेत हैं। अनुपम पांडे, ग्राम रामपुर, डुमरांव के पास से है। वे कैलिफोर्निया, अमेरिका से टाटा कंसल्टेंसी सर्विस में काम कर रहे हैं। वहीं सुमन चतुर्वेदी, प्रिंसिपल इंटर कॉलेज डुमरांव, सुनील चौबे और खिरौली के आलोक गौतम, जिन्होंने यदुवंश चौबे मेमोरियल ने आंशिक रूप से इस प्रयास में योगदान दिया। उन्होंने कहा है, यह वक्त सरकार को दोष देने का नहीं। सजगता और सावधानी का है।

एकौनी गांव के रहने वाले हैं रवि चंद
बक्सर खबर। रविशंकर चंद डुमरांव अनुमंडल के एकौनी गांव के निवासी हैं। उनका जन्म इसी गांव में हुआ था। हालांकि उनका परिवार बहुत पहले आरा चला गया था। वहां से बारह वर्ष पहले वे दुबई चले गए। अब वहीं बस गए हैं। लेकिन, अपनी मातृभूमि की याद सताती रहती है। उन्होंने कहा, हमारा ग्रुप भविष्य में जल्द ही किसी गांव को गोद लेगा। हमारी यह योजना है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here