नहीं की खुद की परवाह, लोगों को किया जागरुक

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-नीतू और संतोषी को डीएम ने किया सम्मानित
बक्सर खबर। कोरोना संक्रमण को लेकर जब से लॉकडाउन लागू हुआ है। लोग खुद की सुरक्षा को लेकर हर संभव प्रयास कर रहे हैं। कोई घर में अधिक समय गुजार रहा है। कोई अपने काम से भाग रहा है। कोविड-19 को लेकर बहुत से लोग खौफजदा हैं। कितने लोगों की तो दिनचर्या ही बदल गई है। लेकिन, कुछ ऐसे भी लोग हैं। जो फ्रंट लाइन वर्कर की तरह काम कर रहे हैं। ऐसी ही एक जोड़ी है संतोषी व नीतू की। जो अपनी व अपने परिजनों की चिंता छोड़ संक्रमण के खतरे के बीच जागरूकता फैलाने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रही हैं।

सिर्फ यही नहीं इनके जैसी अनेक आशा कार्यकर्ता हैं। जो पिछले पांच महीनों से लोगों को जागरूक करने व उन तक इलाज पहुंचाने में जुटी हुई हैं। जिनकी बदौलत आज जिले में कोरोना से जंग को आसान करने में सहूलियत मिली है। इनके कार्यो व परिश्रम को देखते हुए बीते 15 अगस्त को जिले की आशा कार्यकर्ताओं को जिलाधिकारी अमन समीर व पुलिस कप्तान यूएन वर्मा ने सम्मानित भी किया था। इनमें सदर प्रखंड के पांडेयपट्टी वार्ड नंबर 8 की आशा नीतू देवी व बरुणा गांव के वार्ड नंबर 5 की आशा संतोषी देवी भी शामिल हैं।

डर तो लगता है लेकिन जिम्मेदारी बड़ी है
बक्सर खबर। आशा व नीतू देवी ने बताया कोरोनकाल में कई जिम्मेदारियां मिली हैं। जिनमें अपने कार्य क्षेत्र में घर-घर सर्वे कर गंभीर बीमारी खांसी, बुखार एवं श्वास लेने में तकलीफ वाले लोगों का लाइन लिस्टिंग करना, 60 वर्ष से ऊपर वाले व्यक्तियों का लाइन लिस्टिंग करना जिसमें पूर्व से बीपी, शुगर हृदय से संबंधित रोग की जानकारी लेना तथा कार्यालय को रिपोर्ट करना शामिल है। लोगों में शारीरिक दूरी का महत्व एवं पालन हेतु अपील करना, उनके कार्यक्षेत्र में सूबे के बाहर राज्यों से आए हुए होम क्वारंटाइन श्रमिकों व कामगारों का फॉलोअप करना,

सर्वे के दौरान लोगो में हाथ धुलाई एवं सामाजिक दूरी तथा लॉकडाउन में घर से बाहर नहीं निकलने के महत्व को लोगों को समझाना। यह कार्य कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। साथ ही होम आइसोलेशन में रह रहे उपचाराधीन मरीजों तक मेडिकल किट के वितरण की जिम्मेदारी मिली है। इनसब कार्यों के लिए लगातार फील्ड में रहना। अपने आप को भी बचाए रखना। सदर प्रखंड के सामुदायिक उत्प्रेरक (बीसीएम) प्रिंस कुमार ने बताया नीतू देवी व संतोषी देवी का कार्य काफी सराहनीय रहा है। चाहे वह गृह भ्रमण का कार्य हो या लोगों को जागरूक करने का दोनों के कार्यों के बदौलत उनके कार्य क्षेत्र में 80 प्रतिशत लोगों ने कोरोना की जांच करायी है।

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