तुलसी आश्रम में बनेगा भव्य राम दरबार

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तुलसीदास की तपोभूमि रघुनाथपुर को रामायण सर्किट में शामिल और प्रतिमा लगाने की मांग                          बक्सर खबर। रघुनाथपुर स्थित तुलसी आश्रम में शनिवार को अभिजीत मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भव्य श्रीराम जानकी मंदिर के जीर्णोद्धार और राम दरबार निर्माण का शुभारंभ हुआ। पंडित राजू मिश्रा, सोनू तिवारी और विद्वान ब्राह्मणों की टोली ने दूज तिथि को सुबह 11 बजकर 42 मिनट पर भूमिपूजन विधि सम्पन्न कराई। मुगल काल में स्थापित यह प्राचीन मंदिर आज भी गोस्वामी तुलसीदास की तपस्या और रचनाधर्मिता की स्मृतियों से जुड़ा है। कहा जाता है कि यहीं, रघुनाथपुर जिसे पहले बेला पतवत कहा जाता था में तुलसीदास ने प्रवास के दौरान रामचरितमानस के उत्तर कांड के कुछ अंशों की रचना की थी। ग्रामीण बताते हैं कि इसी भूमि पर तुलसीदास ने एक बोधिवृक्ष के नीचे साधना करते हुए गांव वालों को रामकथा सुनाई थी। स्थानीय लोगों और तुलसी विचार मंच के सदस्यों ने बिहार सरकार से इस स्थल को रामायण सर्किट में शामिल करने, मानस ग्रंथालय की स्थापना करने और तुलसीदास जी की प्रतिमा लगाने की मांग की है।

तुलसी विचार मंच के संयोजक शैलेश ओझा ने बताया कि यह स्थल सिर्फ आस्था नहीं, बल्कि इतिहास का भी साक्षी है। उन्होंने कहा कि गांव के जमींदार रघुनाथ सिंह ने तुलसीदास को यह चार एकड़ भूमि दान में दी थी। वर्ष 1910 और 1970 के सर्वे खतियान और मालगुजारी रसीदों में भी तुलसीदास का नाम दर्ज है। यहां तक कि 2025 तक की ताजा रसीदें भी इसे प्रमाणित करती हैं। उन्होंने आगे बताया कि बिहार सरकार के शाहाबाद गजेटियर 1966 के अध्याय 13, पृष्ठ 669 में भी तुलसीदास के रघुनाथपुर प्रवास का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। हर वर्ष यहां दो दिवसीय तुलसी जयंती समारोह आयोजित होता है, जिसमें रामकथा, संगीतमय सुंदरकांड पाठ और विचार गोष्ठी होती है। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर भी यहां भव्य रामोत्सव का आयोजन किया गया था। आश्रम परिसर में हाल ही में बने महाकाल मंदिर ने धार्मिक गतिविधियों को और बल दिया है। ग्रामीणों की मान्यता है कि इससे रघुनाथपुर जल्द ही धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनेगा। भूमिपूजन के अवसर पर मदन चौधरी, संतोष सिंह, शैलेश ओझा, डॉ. विनोद सिंह, फादर चौधरी, विद्यानंद पाल, रविन्द्र चौधरी, गोपाल सिंह, अनूप केशरी समेत गांव के सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।

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