पंचकोसी परिक्रमा के दूसरे पड़ाव पर उमड़े हजारों श्रद्धालु

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संतों के संग सरोवर परिक्रमा, खिचड़ी भोग और शाम में हुआ संत सम्मेलन                                                      बक्सर खबर। ऐतिहासिक पंचकोसी परिक्रमा के दूसरे पड़ाव पर सोमवार को नदांव स्थित नारद सरोवर भक्तिमय वातावरण में डूब गया। हजारों श्रद्धालु सुबह से ही प्राचीन शिव मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंचे। पंचकोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष बसांव पीठाधीश्वर अच्युत प्रपन्नाचार्य के नेतृत्व में संतों और श्रद्धालुओं ने सरोवर की परिक्रमा की। इसके बाद सबने खिचड़ी प्रसाद का सामूहिक भोग लगाया। शाम होते ही संत सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें साधु-संतों ने पंचकोसी परिक्रमा के आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला।

कथावाचक डॉ. रामनाथ ओझा ने कहा कि पंचकोसी परिक्रमा केवल आस्था की यात्रा नहीं, यह वो जीवंत अध्याय है जो भगवान श्रीराम, महर्षि विश्वामित्र और ऋषि परंपरा की अमर गाथा को आज भी जीवित रखे हुए है। उन्होंने बताया कि जब भगवान श्रीराम बक्सर आए थे और ताड़का व सुबाहु का वध कर विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की थी, तब यज्ञ पूर्ण होने पर महर्षि विश्वामित्र ने उन्हें पांच कोस क्षेत्र में स्थित विभिन्न ऋषियों के आश्रमों- अहिरौली (गौतम आश्रम), नदांव (नारद आश्रम), भभुअर (भार्गव आश्रम), नुआंव (उद्दालक आश्रम) और चरित्रवन का दर्शन कराया था। यही परंपरा आज पंचकोसी परिक्रमा के रूप में जीवित है। उन्होंने कहा कि यह मेला नहीं, परिक्रमा है भक्ति और मोक्ष का मार्ग।

फोटो – नदांव में पूजा-अर्चना करती महिलाएं

कार्यक्रम में पहुंचीं भाजपा नेत्री एवं समाजसेवी वर्षा पांडेय ने श्रद्धालुओं और संतों के साथ सरोवर की परिक्रमा की। उन्होंने कहा कि बक्सर केवल एक जिला नहीं, यह हमारी सभ्यता का उद्गम स्थल है। यहां श्रीराम के चरण पड़े हैं, यह ऋषियों की तपोभूमि रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि पंचकोसी परिक्रमा से जुड़े सभी पवित्र स्थलों को ‘पंचकोसी कॉरिडोर’ के रूप में विकसित किया जाए। इससे बक्सर न सिर्फ बिहार, बल्कि भारत के धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन सकता है। कॉरिडोर केवल सड़क नहीं, यह सनातन चेतना का मार्ग होगा जो आने वाली पीढ़ियों को उनके गौरव से जोड़ेगा। पंचकोसी परिक्रमा का अगला चरण मंगलवार को भभुअर में होगा। श्रद्धालु वहां लक्ष्मण सरोवर की परिक्रमा करेंगे और दही-चूड़ा प्रसाद का सामूहिक भोग लगाएंगे।

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